यूपी में ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिये और बहाना होगा पसीना

Edited By ,Updated: 04 Sep, 2015 02:47 PM

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उत्तर प्रदेश में जल्द ही ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने के लिये और कड़ी प्रक्रिया से गुजरना होगा। सूबे की अखिलेश यादव सरकार चालक की योग्यता परखने के लिये पारदर्शी स्वचालित चालन परीक्षण पथ तंत्र ....

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जल्द ही ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने के लिये और कड़ी प्रक्रिया से गुजरना होगा। सूबे की अखिलेश यादव सरकार चालक की योग्यता परखने के लिये पारदर्शी स्वचालित चालन परीक्षण पथ तंत्र यानी ट्रांसपरेंट आटोमेटेड ड्राइविंग टेसिं्टग ट्रैक सिस्टम (एडीटीटी) की शुरूआत करने जा रही है। एडीटीटी के अस्तित्व में आने से चालक को इलेक्ट्रानिक सेंसरों से युक्त सर्पीले मार्ग पर वाहन को दौड़ाना होगा। चालक के तनिक भी लडख़ड़ाने की सूचना सेंसर के जरिए रिकार्ड कर ली जायेगी और इसका परिणाम निगेटिव मार्किंग के तौर पर दिखेगा। लाइसेंस पाने के इस टेस्ट में आवेदक को 70 प्रतिशत अंक लाने जरूरी होंगे।  
 
मुख्य सचिव आलोक रंजन ने आज यहां बताया कि इलेक्ट्रानिक सेंसर आधारित सुविधा के लिये अभी लखनऊ समेत पांच शहरों को अधिकृत किया गया है। इस तंत्र के प्रयोग में आने के साथ योग्य चालक की ड्राइविंग लाइसेंस हासिल कर सकेंगे जबकि मानव की दखलदांजी लगभग खत्म हो जायेगी। उन्होंने कहा कि लखनऊ में अगले साल मार्च तक चालन परीक्षण पथ और माडल निरीक्षण एवं प्रमाणन केन्द्र अस्तित्व में आ जायेगा।
 
इस परियोजना के लिये सडक सुरक्षा कोष से 25 करोड रूपये स्वीकृत किये जा चुके हैं। परियोजना में कानपुर,गोरखपुर, आजमगढ़ और कन्नौज शामिल हैं। रंजन ने कहा कि पहले चरण में 35 जिलों में नये पथ विकसित किये जायेंगे जबकि इसके अगले दौर में 40 जिलों में काम किया जायेगा। जिलाधकारियों को क्षेत्रीय चालन प्रशिक्षण केन्द्र के लिये मुफ्त जमीन मुहैया कराने को कहा गया है जहां चालक को वाहन चलाने का उचित प्रशिक्षण दिया जायेगा। 

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