Sports

नई दिल्ली : धार्मिक कट्टरता के लिए दुनिया भर में मशहूर साउदी अरब से बीते दिन अच्छी खबर आई थी जब वहां के प्रिंस मोहम्मद सलमान ने महिलाओं को फुटबॉल मैच देखने का हक दिलाया था। बीते दिनों साउदी में जब महिलाएं मैच देखने भी आई तब दुनिया भर में इस फैसले की तारीफ हुई थी। इस फैसले को अभिव्यक्ति की आजादी की संज्ञा दी गई। वहीं, इस घटना के बिल्कुल विपरित काम किया है यूपी के सहारनपुर के रहने वाले दारुल उलूम देवबंद के मुफ्ती ने। दारुल उलूम देवबंद 150 साल पुराना इस्लामिक तालीम का संस्थान है जहां सुन्नी हनफी धर्मशास्त्र की पढ़ाई होती है। मुफ्ती अतहर कासमी ने बीते दिन फतवा जारी करते हुए कहा है कि मुस्लिम महिलाओं का फुटबॉल देखना इस्लाम के खिलाफ है। उन्हें पुरुषों को फुटबॉल खेलते हुए नहीं देखना चाहिए।

कासमी जिन्होंने फतवा जारी किया
PunjabKesari
देवबंद के मुफ्ती अतहर कासमी ने कहा है कि नग्न घुटनों के साथ पुरुषों को फुटबॉल खेलते देखना इस्लाम के नियमों के विरुद्ध है और मुस्लिम महिलाओं के लिए यह हराम है। कासमी ने कहा, क्या आपको शर्म नहीं आती? क्या आप ऊपरवाले से नहीं डरते हैं? आप उन्हें (अपनी बीवियों को) ऐसी चीजें क्यों देखने देते हैं। उन्होंने उन पुरुषों को भी कठघरे में खड़ा किया जो अपनी बीवियों को टेलिविजन पर फुटबॉल देखने की इजाजत देते हैं। कासमी यहां तक बोल गए कि महिलाओं को फुटबॉल मैच देखने की जरूरत नहीं है। उन्हें खिलाडिय़ों की जांघों को देखकर क्या फायदा मिलेगा। अगर वह मैच देखती है तो सारा वक्त तो उनका ध्यान उसी तरफ होगा।

अफगानिस्तान में बीते महीने महिलाओं को पहली बार फुटबॉल मैच देखने की इजाजत मिली थी...
PunjabKesari