राफेल डील को लेकर खुलती परतें, जानिए किस-किस को हुआ फायदा !

Edited By vasudha,Updated: 22 Sep, 2018 11:41 PM

राफेल डील को लेकर रोज नई परतें खुलती जा रही हैं। इसे लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है...

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): राफेल डील को लेकर रोज नई परतें खुलती जा रही हैं। इसे लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है। कांग्रेस इस डील के​ लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है तो वहीं भाजपा इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बता रही है। 25 जनवरी, 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस डील के बारे में देश को बताया। 2019 में भारत को इसकी पहली खेप मिलेगी, लेकिन नित नए खुलासे से राफेल डील अब विवादों के घेरे में है। 
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पूर्व फ़्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक फ्रेंच पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत सरकार के कहने पर रिलायंस के साथ दसॉल्ट को पार्टनरशिप करनी पड़ी। जिस समय भारत और फ्रांस के बीच राफेल डील हुई थी, उस समय फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ही थे। ओलांद के अनुसार, अनिल अंबानी की कंपनी को दसॉल्ट ने नहीं चुना था। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। भारत सरकार ने जो भागीदार दिया, हमें उसे स्वीकार करना पड़ा। यही बात कांग्रेस भी उठाती आई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भी आरोप है कि भाजपा सरकार ने सौदे में गड़बड़ी कर HAL से ठेका लेकर रिलायंस को दे दिया। इस डील से भारत को कितना फायदा पहुंचेगा, इसका अभी कोई अनुमान नहीं है। लेकिन रिलायंस को पार्टनर बनाकर फ्रांस्वा ओलांद और दसॉल्ट को फायदा ज़रूर पहुंचा है। 

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रिलायंस और ओलांद की गर्लफ्रेंड का कनेक्शन
31 अगस्त 2018 में इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल डील से ठीक एक दिन पहले यानी 24 जनवरी, 2016 को ओलांद की गर्लफ्रेंड जूली जूली गेयेट और अनिल अंबानी के रिलायंस एंटरटेनमेंट के बीच एक फिल्म प्रोड्यूस करने का एग्रीमेंट हुआ था। ओलांद की पार्टनर जूली गेयेट की फर्म Rouge International (रूज़ इंटरनेशनल) और रिलायंस एंटरटेनमेंट ने मिलकर Tout La-Haut फिल्म का निर्माण किया था।

रिलायंस की मदद से दसॉल्ट की हुई भारत बाजार में एंट्री
दसॉल्ट की एनुअल रिपोर्ट 2017 देखने से साफ़ पता चलता है कि रिलायंस एयरपोर्ट डेवलपर लिमिटेड के साथ भागीदारी करके दसॉल्ट को फायदा हुआ है। कंपनी की रिपोर्ट में लिखा है - "2017 में हमने रिलायंस एयरपोर्ट डेवलपर्स लिमिटेड में 35% हिस्सेदारी के अधिग्रहण के माध्यम से भारत में अपनी उपस्थिति को और भी मजबूत किया है। रिलायंस भारत में हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे के प्रबंधन और विकास में काम करता है।"

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वहीं, पूर्व फ़्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद की गर्लफ्रेंड की फिल्म 2017 में रिलीज़ हो कर हिट हो गई है, इसलिए राफेल डील पर बोलने से उनको कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन दसॉल्ट और फ्रेंच गवर्नमेंट को तो भारत से मुनाफा कमाना है, इसलिए दोनों ने ओलांद के खुलासे का खंडन किया है। दसॉल्ट ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि रिलायंस के साथ जुड़ना कंपनी का फैसला था। वहीं, फ्रांस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का बयान आया है कि भारतीय अधिग्रहण प्रक्रिया के मुताबिक फ़्रांस की कंपनियों के पास ये पूरी आज़ादी है कि वो उन भारतीय साझेदार कंपनियों को चुनें जिन्हें वो सबसे ज़्यादा उपयुक्त समझती हैं।

अगर फ्रांस और दसॉल्ट को रिलायंस के साथ जुड़ कर फायदा हुआ है तो अनिल अंबानी की कंपनी को भी फायदा ज़रूर हुआ होगा। बिज़नेस तो ऐसा ही होता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इनके फायदे के भुगतान की रसीद क्या हम लोगों के पैसे से कटेगी?

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