Edited By Yaspal,Updated: 09 Jun, 2018 11:15 PM
भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के संबंध इतने तल्ख हो चुके हैं कि शिवसेना ने शनिवार को कहा कि यदि बीजेपी को 2019 में बहुमत नहीं मिल पाता है तो पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के लिए सर्वसम्मति से उम्मीदवार हो सकते हैं।
नेशनल डेस्कः भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के संबंध इतने तल्ख हो चुके हैं कि शिवसेना ने शनिवार को कहा कि यदि बीजेपी को 2019 में बहुमत नहीं मिल पाता है तो पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के लिए सर्वसम्मति से उम्मीदवार हो सकते हैं।
शिवसेना ने भाजपा के वैचारिक सलाहकार संगठन आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी शिवसेना के पूर्व प्रमुख स्व बाल ठाकरे को अपने मंच पर आमंत्रित नहीं किया और इफ्तार पार्टी आयोजित कर मुसलमानों को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं।
पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय पेज में यह टिप्पणियां ऐसे वक्त पर आई हैं, जब बीजेपी और शिवसेना के आपसी रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं और दो दिन पहले ही गुरुवार को नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शिरकत की थी।
कांग्रेस ने यात्रा से पहले उठाए थे सवाल
संघ मुख्यालय में मुखर्जी की यात्रा पर बेहद तीखी प्रतिक्रियां सामने आई थी। प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी समेत उनकी अपनी पार्टी के कई नेताओं ने उनके संघ मुख्यालय जाने के फैसले की आलोचना की थी।
शिवसेना ने कांग्रेस को फटकार लगाते हुए कहा कि मुखर्जी की यात्रा को रोकने की कोशिश में उसने खुद का मजाक बनाया है। शिवसेना ने कहा कि यह एक “बिना आवाज वाले पटाखे की तरह था”। पार्टी ने आश्चर्य वयक्त करते हुए कहा कि आखिर आरएसएस ने क्या सोचकर इस कद्दावर नेता को आमंत्रित करने का फैसला किया। जिन्होंने नेहरुवादी विचारधार को अपने दिल के पास रखा था।
संपादकीय में कहा गया है कि आरएसएस थिंग टैंक भविष्य की राजनीति के लिए रणनीतिक रूप से ऐसी यात्राओं का प्रयोग करता है। इस विशेष घटना को लेकर उनके दिमाग में क्या है, इसका खुलासा तो 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही हो पाएगा।