Edited By Anil dev,Updated: 18 Oct, 2018 12:45 PM
बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या करीब 10 लाख पहुंच गई है और म्यांमार से आने वाले शरणार्थी अपनी युवतियों को बंधुआ मजदूरी के लिए बेच रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र प्रवास एजेंसी (आईओएम) ने मंगलवार को कहा कि थोड़े से पैसे पाने की बेचैनी और...
संयुक्त राष्ट्र: बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या करीब 10 लाख पहुंच गई है और म्यांमार से आने वाले शरणार्थी अपनी युवतियों को बंधुआ मजदूरी के लिए बेच रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र प्रवास एजेंसी (आईओएम) ने मंगलवार को कहा कि थोड़े से पैसे पाने की बेचैनी और हताशा में परिवार अपनी बच्चियों को बेहद खतरनाक माहौल में काम करने के लिए भेज रहे हैं।
करीब 10 प्रतिशत बच्चियां और महिलाएं हैं यौन उत्पीड़न की भी शिकार
आईओएम का कहना है कि जो महिलाएं और बच्चियां इस बंधुआ मजदूरी में फंसी हुई हैं, उनमें से दो-तिहाई बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में संयुक्त राष्ट्र से मिलने वाली सहायता का लाभ ले रही हैं। करीब 10 प्रतिशत बच्चियां और महिलाएं यौन उत्पीड़न की भी शिकार हैं। संस्था का कहना है कि पुरुष और बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं और जबरन श्रम कार्यों में लगे करीब एक-तिहाई शरणार्थी रोहिंग्या हैं। काम और बेहतर जीवन के झूठे वादों के बावजूद उन्हें कोई कदम बहुत कठोर नहीं लगता है। कुछ पीड़ितों को तो इससे जुड़़े खतरों की जानकारी भी नहीं है या फिर वे अपने हालात से इस कदर परेशान हो चुके हैं कि उन्हें कुछ भी बुरा नहीं लगता। आईओएम प्रमुख डिना पारमेर का कहना है, "परिवार के लिए एक सदस्य की कुर्बानी देना ही तर्क है।"