Edited By Jyoti,Updated: 18 Oct, 2019 04:17 PM
27 अक्टूबर को देश में बड़ी ही धूम-धाम से दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा। क्योंकि ये हिंदू धर्म का त्यौहार है इसलिए प्रत्येक त्यौहार की तरह इस त्यौहार के साथ भी कई मान्यताएं आदि जुड़ी हुई हैं
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
27 अक्टूबर को देश में बड़ी ही धूम-धाम से दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा। क्योंकि ये हिंदू धर्म का त्यौहार है इसलिए प्रत्येक त्यौहार की तरह इस त्यौहार के साथ भी कई मान्यताएं आदि जुड़ी हुई हैं। कुछ देवी लक्ष्मी से संबंधित है तो कुछ भगवान राम से। जिनमें से एक मुख्य मान्यता ये है कि इस दिन श्री राम अपने 14 साल के वनवास के बाद अपने राज्य अयोध्या पधारे थे। जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों में उतस्व मनाया था। ये तो वो जानकारी है जो लगभग हर किसी को पता है परंतु क्या आप जानते हैं शास्त्रों में इस दिन को लकेर क्या और कैसा वर्णन मिलता है। अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं-
पौराणिक कथाओं के मुताबिक श्री राम सी इस दौरान सीधा अयोध्या न जाते हुए पहले नंदीग्राम गए थे और वहां कुछ दिन रुकने के बाद दिवाली के दिन अयोध्या में प्रवेश किया था। जिस के लिए खासतौर पर नगर सजाया गया था।
आज भी श्रीराम के अयोध्या लौटने की तिथि पर इतिहासकारों में मतभेद हैं, परंतु परंपरा के अनुसार कार्तिक अमावस्या अर्थात दीपावली को भगवान श्रीराम अपना 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे।
धार्मिक कथाओं के अनुसार रावण का वध करने के बाद लंका से अयोध्या लौटते समय राम, लक्ष्मण, सीता एवं हनुमान जी पुष्पक विमान से अयोध्या के पास नंदीग्राम नामक स्थान पर उतरे थे, जहां पर राम की खड़ाऊं रखकर राजा भरत अपना राजपाट चलाते थे।
कहा जाता है नंदीग्राम में कुछ समय रहने के बाद भगवान श्रीराम का दीपावली के दिन अयोध्या नगर में आगमन हुआ तो सभी शहरवासी उनके आगमन और स्वागत के लिए उमड़ पड़े। उन सब ने मिलकर श्रीराम के लौटने की खुशी में दीप जलाएं और खुशियां मनाई और शहर का रंग-रोगन कर उसको दीपकों से सजाया। बता दें तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के उत्तरकांड में इस घटना का सुंदर चित्रण किया गया है।