Kundli Tv- लक्ष्मण को बचाने के लिए यहां आए थे भोलेनाथ

Edited By Jyoti,Updated: 14 Aug, 2018 02:30 PM

bholenath was here to save laxman

भारत एक एेसा देश है जो रहस्यों से भरा पड़ा है। इन रहस्यमयी जगहों में मंदिर , पर्वत, स्थान आदि सब शामिल हैं। लेकिन आज भी एेसी बहुत से रहस्यमयी जगहें हैं, जो हिंदू धर्म के साथ संबंध रखती है।

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भारत एक एेसा देश है जो रहस्यों से भरा पड़ा है। इन रहस्यमयी जगहों में मंदिर , पर्वत, स्थान आदि सब शामिल हैं। लेकिन आज भी एेसी बहुत से रहस्यमयी जगहें हैं, जो हिंदू धर्म के साथ संबंध रखती है। लेकिन इनके बारे में किसी को पता नहीं हैं और न ही इनकी गुत्थी आज तक सुलझ पाई है। तो आईए आज आपको एेसी ही एक जगह के बारे में बताते हैं, जिसका संबंध रामायण काल से जुड़ा हुआ है।
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आपको बता दें कि जिस स्थान की हम बात करने जा रहें हैं, वह स्थान भारत में नहीं बल्कि श्रीलंका में स्थित है। इस जगह को श्रीपदा के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यह पहाड़ रामायण काल से यहां स्थित है। इस पहाड़ को लेकर अनेकों मान्यताएं प्रचलित हैं लेकिन कहा जाता है कि इस पहाड़ का हिंदू धर्म के इतिहास से बहुत गहरा संबंध है।
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श्रीलंका की इस पहाड़ी पर एक मंदिर स्थापित है, जिसमें एक विशाल पैर का निशान है। लोगों का मानना है कि यह पैर का निशान किसी और का नहीं बल्कि भगवान शिव का है।

यह पहाड़ रतनपुर जिले के घने जंगलों में स्थित है। स्थानीय लोग इस पहाड़ को रहुमाशाला कांडा का नाम दे रखा है। इस पहाड़ पर जो मंदिर बना हुआ है, उसमें भगवान शिव के पैरों के निशान बने हुए हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि मनुष्यों को अपना दिव्य प्रकाश देने के लिए भगवान शिव यही प्रकट हुए थे। इसी वजह से यहां उनके पैरों के निशान बने हुए हैं। इस स्थान को सिवानोलीपद्म या शिव का प्रकाश भी कहा जाता है।
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मेघनाद के वाण से घायल हुए थे लक्ष्मण
लगभग 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस पहाड़ की एक अन्य ख़ासियत भी है। इस पहाड़ में कई कीमती पत्थरों का भंडार भी है। कहा जाता है कि रामायण काल के दौरान जब लक्ष्मण मेघनाद के वाण से घायल हो गए थे तो उन्हें बचाने के लिए सजीवनी बूटी की ज़रूरत थी। संजीवनी बूटी की तलाश के लिए हनुमान जी को भेजा गया। उन्हें बताया गया था कि संजीवनी बूटी हिमालय पर्वत पर है। संजीवनी बूटी की तलाश करते समय हनुमान जी को कुछ समझ में नहीं आया।
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इसी की वजह से उन्होंने पूरे पहाड़ को ही ले जाना उचित समझा। उन्होंने पूरा पहाड़ ही उठा लिया और उसे लेकर लंका पहुंचे। लक्ष्मण के इलाज के बाद पहाड़ को वहीं छोड़ दिया गया। इस धार्मिक वजह के अलावा यह पहाड़ इसलिए भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है क्योंकि यहां से एशिया का सबसे अच्छा सूर्योदय देखा जा सकता है। इसी वजह से यहां पर पूरे साल पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। इस पहाड़ पर जो प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलता है, वह वाकई अद्भुत है।
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