Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 08:51 PM
वैश्विक अदालत में ब्रिटिश उम्मीदवार के विरुद्ध न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी की जीत को ब्रिटिश मीडिया ब्रिटेन के लिए ‘अपमानजनक झटके’ के रूप में पेश कर रहा है जबकि भारत ने कहा है कि इस कड़े मुकाबले का द्विपक्षीय संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ब्रिटेन में...
लंदन: वैश्विक अदालत में ब्रिटिश उम्मीदवार के विरुद्ध न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी की जीत को ब्रिटिश मीडिया ब्रिटेन के लिए ‘अपमानजनक झटके’ के रूप में पेश कर रहा है जबकि भारत ने कहा है कि इस कड़े मुकाबले का द्विपक्षीय संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ब्रिटेन में भारत के कार्यवाहक उ‘चायुक्त दिनेश पटनायक ने यह बात भी दोहराई कि दोनों देश शुरू से ही एक दूसरे के संपर्क में थे जो भारत एवं ब्रिटेन के बीच मजबूत संबंध को दर्शाता है।
पटनायक ने कहा, ‘‘ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय का एक वरिष्ठ प्रतिनिधि शुरू से ही संपर्क में था और उसने यह बात कही थी कि दोनों समान कानून प्रणाली वाले दोस्त हैं। पूरी प्रक्रिया बहुत सौहाद्र्रपूर्ण रही और इससे किसी भी तरह द्विपक्षीय संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा।’’ सोमवार को न्यूयार्क में ग्यारहवें दौर का मतदान शुरू होने के महज कुछ मिनट पहले संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटिश मिशन ने एक पत्र जारी कर घोषणा की कि सर क्रिस्टोफर ग्रीनवुड हार स्वीकार कर लेंगे और अपने भारतीय प्रतिद्वंद्वी को हेग में संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख कानूनी निकाय में खाली जगह भरने देंगे।
ब्रिटिश मीडिया ने ‘कड़े मुकाबले’ वाले मतदान को इस वैश्विक मंच पर ब्रिटेन के घटते दर्जे का संकेत करार दिया है। गार्डियन ने निराशा के साथ लिखा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के 71 साल के इतिहास में पहली बार उसकी पीठ में ब्रिटेन का कोई न्यायाधीश नहीं होगा।’’ उसने लिखा है, ‘‘संयुक्त राष्ट्र महासभा में बढ़ते विरोध के सामने झुक जाने का फैसला ब्रिटिश अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के लिए अपमानजनक झटका है और अंतरराष्ट्रीय विषयों में बौने दर्जे की स्वीकृति है।