खर्च नहीं, निवेश हैं बेटियां

Edited By ,Updated: 22 Jan, 2015 05:18 AM

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बेटियां किसी पर बोझ नहीं होती। अगर बेटियों को बेटों की तरह ही सही तरीके से पढ़ाया जाए तो ये खर्च भी नहीं होती बल्कि वो निवेश होती हैं.....

सोनीपत (संजीव दीक्षित): बेटियां किसी पर बोझ नहीं होती। अगर बेटियों को बेटों की तरह ही सही तरीके से पढ़ाया जाए तो ये खर्च भी नहीं होती बल्कि वो निवेश होती हैं जोकि मां-बाप का बुढ़ापे में भी सहारा बन सकती हैं जबकि बेटे शादी के बाद बदल जाते हैं। हरियाणा में महिलाओं की हालत काफी खराब है तथा यहां लिंगानुपात भी चिंताजनक है। ऐसे में यहां से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत होना सराहनीय है। यह बात राजस्थान के टांक जिले के गांव सोढा की सरपंच छवि ने पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत में कही। छवि को प्रधानमंत्री मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए विशेष रूप से नोमिनेट किया है।

छवि एम.बी.ए. है और उसने गांव सोढा की सरपंच बनने के बाद यहां उल्लेखनीय काम किए हैं। बताया जाता है कि इस गांव में महिलाएं भी पुरुषों की तरह चौपालों में हिस्सा लेती हैं और सभी सामाजिक कार्यों में आगे रहती हैं। सोनीपत के गांव जाखौली में अपने ननिहाल पहुंची छवि ने बताया कि वे 22 जनवरी को पानीपत में होने वाले बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में हिस्सा लेने आई हैं। छवि का कहना है कि वे जितनी राजस्थान की हैं उतनी ही हरियाणा की बेटी भी हैं। इसलिए यहां लोगों को जागरूक करना अपना कत्र्तव्य समझती हैं।

ग्रामीण महिलाएं लेती हैं छवि से प्रेरणा
गांव सोढा की महिलाएं छवि से प्रेरणा लेती हैं। एक उदाहरण देते हुए छवि ने बताया कि गांव की एक विधवा की 4 बेटियां हैं और एक बेटा। विधवा ने अपनी बेटियों की शादी करने की तैयारी कर ली लेकिन छवि के समझाने के बाद अब विधवा का मुख्य लक्ष्य बेटियों को शिक्षित करना है और वह इस उद्देश्य में सफल होने का प्रयास भी कर रही है। इसी तरह से गांव की दूसरी महिलाएं भी छवि से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ी हैं।

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