अमरीकी सेनाएं अब तालिबान के ‘पेट पर लात’ मार रही हैं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Dec, 2017 02:52 AM

us forces are now kicking the talibans stomach

पाकिस्तान से सटे अफगानिस्तान के दुर्गम सीमांत क्षेत्रों में अमरीकी सेनाएं तालिबान अथवा आई.एस. आई.एस. के आतंकियों के शिकार पर निकली हुई हैं क्योंकि इस इलाके में तैनात नाटो और अफगान सेनाओं के लिए वह किसी भी समय खतरा बन सकते हैं। इन आतंकियों के सफाए के...

पाकिस्तान से सटे अफगानिस्तान के दुर्गम सीमांत क्षेत्रों में अमरीकी सेनाएं तालिबान अथवा आई.एस. आई.एस. के आतंकियों के शिकार पर निकली हुई हैं क्योंकि इस इलाके में तैनात नाटो और अफगान सेनाओं के लिए वह किसी भी समय खतरा बन सकते हैं। इन आतंकियों के सफाए के लिए बहुत लम्बी दूरी तक मार करने वाले बी-52 बमवर्षक प्रयुक्त किए जा रहे हैं जो 20 हजार फुट से भी अधिक ऊंचाई से उन पर प्रहार कर रहे हैं। 

ऐसे ही एक बमवर्षक विमान पर मुझे पायलट के साथ सवारी करने का मौका मिला। यह बमवर्षक 13 घंटे के कम्बैट मिशन पर निकला था। इस उड़ान दौरान मुझे ट्रम्प प्रशासन की नई अफगान नीति को करीब से देखने का मौका मिला। इस नई नीति का मुख्य उद्देश्य है युद्ध सीमा के ऐन करीब हजारों अमरीकी सैनिक और बी-52 जैसे बमवर्षक विमान भेजना, जोकि अग्रिम  मोर्चे पर अमरीकी सैनिकों को सुरक्षा प्रदान कर सकें। तालिबानियों की वित्तीय जीवन रेखा को पंगु बनाने के लिए उनके नशीले पदार्थों के भंडारों पर निशाना साधना भी इस अभियान का हिस्सा है। ईराक और सीरियामें भी पैंटागन ने ऐसी ही नीति अपनाते हुए आई. एस.आई.एस. के आतंकियों के आयल टैंकरों और नकदी भंडारण स्थलों पर बमवर्षा की थी। 

ओबामा प्रशासन के दौरान अमरीकी कमांडरों को तालिबान के विरुद्ध आक्रामक हवाई कार्रवाई करने की मनाही थी। उन्हें बस एक ही निर्देश था कि केवल अपने बचाव में ही हमला करना है, जिसका उद्देश्य अफगानिस्तान की जमीनी सेनाओं को रक्षा प्रदान करना था। ऐसे में कमांडरों द्वारा यह शिकायत करना स्वाभाविक ही था कि युद्ध की स्थिति होने के बावजूद उनके हाथ बंधे हुए थे। इससे एक व्यवधान पैदा हो गया था और स्थिति में कोई निर्णायक मोड़ नहीं आ रहा था। अब स्थिति बदल गई है। गत एक वर्ष दौरान अमरीकी युद्धक विमानों ने तालिबानी ठिकानों पर 3900 से भी अधिक बम गिराए हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में 3 गुना अधिक हैं। 

अफगानिस्तान में अमरीकी सेनाओं के शीर्ष कमांडर जनरल जॉन निकल्सन ने गत माह कहा था: ‘‘नए अधिकारियों ने मुझे दुश्मन के विरुद्ध लड़ाई में ऐसी काबिलियत प्रदान की है जो पहले मुझे उपलब्ध नहीं थी। अब हम तालिबान पर ऐसा प्रहार कर रहे हैं जो उन्हें सबसे अधिक आघात पहुंचाता है, यानी कि हम उनके पेट पर लात मार रहे हैं। हम उनके वित्तीय संसाधन बर्बाद कर रहे हैं।’’अफगानिस्तान में गत माह जमीन पर हुई छापामारी तथा हवाई बमवर्षा ने दक्षिण अफगानिस्तान में तालिबानियों के नशीले पदार्थों के 15 भंडार बर्बाद करके उन्हें इनसे होने वाली 16 मिलियन डालर की कमाई चौपट कर दी है। इन हमलों से तालिबानियों का नशीले पदार्थों का क्षेत्रीय नैटवर्क वित्तीय रूप से लडख़ड़ा गया है। 

जनरल निकल्सन ने कहा है कि यह अभियान कई महीनों तक जारी रह सकता है क्योंकि देशभर में अपने 20 करोड़ डालर के वार्षिक अफीम व्यापार को चलाए रखनेकेलिए आतंकवादियों ने 500 से अधिक प्रयोगशालाएं बना रखी हैं। अफीम और अन्य नशीले पदार्थों से मिलने वाला पैसा तालिबानियों की आयमें 60 प्रतिशत का योगदान करता है। इसी कमाई से तालिबान जहां नए हथियार खरीदते हैंवहीं रंगरूट भर्ती करते हैं, उनका वेतन अदा करते हैं तथा सैनिक कार्रवाइयां अंजाम देते हैं। 

अफगानिस्तान में अमरीका की लड़ाई जब 17वें वर्ष में दाखिल हो गई है तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने त्रिआयामी रणनीति अपनाई है जिसका सबसे पहला लक्ष्य है तालिबानियों को वार्तालाप के लिए मजबूर करना। इस रणनीति का उद्देश्य केवल उनके वित्तीय स्रोतों का गला घोंटना ही नहीं बल्कि अमरीकी वायुसेना के समर्थन से अफगान सेनाओं की मारक और लड़ाकू क्षमता में बढ़ौतरी करनाभी है ताकि चुनाव करवाकर अफगान सरकारकी स्वीकार्यता और वैधता में बढ़ौतरी हो सके। 

निकल्सन ने कहा ‘‘अब तालिबान के सामने तीन विकल्प बचे हैं: समझौता करे, अप्रासंगिक बन जाए या फिर मौत को गले लगाए।’’ अफगानिस्तान की विशेषज्ञता रखने वालों का कहना है कि उन्होंने इस तरह की शेखियां पहले ही बहुत सुनी हैं, इसके बावजूद इतने वर्षों से युद्ध जारी है। उन्होंने तालिबान के पेट पर लात मारने की नीति के संंबंध में अपनी आशंकाएं व्यक्त की हैं। लगभग 2 वर्ष तक अमरीकी सेनाओं का नेतृत्व कर चुके सेवामुक्त लै. जनरल डेविड डब्ल्यू. बार्नों ने कहा है: ‘‘तालिबान को वित्तीय रूप में आघात पहुंचाना लाभदायक है लेकिन ऐसा करने से नशीले पदार्थों का यह धंधा करने वाले लोग पाकिस्तान और ईरान जैसे पड़ोसी देशों को पलायन कर जाएंगे।’’

अन्य आलोचकों ने कहा है कि बेशक अमरीकी सेना बेहतरीन प्रयास कर रही है तो भी हवाई हमलों में इतनी प्रचंड तेजी के विपरीत नतीजे ही होंगे, जिससे अटल तौर पर अधिक सिविलियन मौतें होंगी तथा इससे राजनीतिक आघात भी लगेगा। ‘‘सैंटर फार सिविलियन्स इन कन्फ्लिक्ट’’ के अमरीकी प्रोग्राम निदेशक डेनियल आर. महंती ने कहा है: ‘‘यदि आप रोकथाम, अन्वेषण इत्यादि के लिए कर्मियों, संसाधनों और समय का आबंटन किए बिना हवाई हमलों में वृद्धि करते हैं तो इसके फलस्वरूप सिविलियन मौतों की ही गिनती बढ़ेगी। यह युद्ध का मूलभूत अंक गणित है।’’

अमरीकी सेना के कतर स्थित कमांड सैंटर ने इन आलोचक विशेषज्ञों पर लक्ष्यसाधते हुए कहा है कि उन्होंने नशीले पदार्थों के उन कारखानों की सूची तैयार की है जो अफगान सरकार के विरुद्ध लड़ रहे तालिबानीविद्रोहियों का सीधे रूप में वित्त पोषण करते हैं। यह सूची बनाने के लिए हमें सैंकड़ों घंटे हवाई निगरानी करने के अलावा अनगिनत गुप्तचर रिपोर्टों का अध्ययन करना पड़ा। इस केन्द्र ने यह भी कहा कि हवाई हमले रातके समय किए जाते हैं जब लक्षित स्थानों के आसपास सिविलियन लोग बहुत कम संख्या में होते हैं। 

हवाई बमबारी अभियान के प्रभावों की समीक्षा करने वाले दल के उपप्रमुख व अमरीकी तोपखाने के अधिकारी कैप्टन रियान प्रैटी ने मुझे बताया: ‘‘यह एक बहुत सोची-समझी प्रक्रिया है।’’ कतर के कमांड सैंटर में अफगानिस्तान के लिए अग्रणी गुप्तचर अधिकारी की जिम्मेदारियां अदा कर रहे शिकागो के पूर्व अभियोजक और नौसेना के लै. विलियम कोनवे ने कहा है: ‘‘इन हवाई हमलों तथा इनके बाद के प्रभावों ने तालिबानियों के नशीले पदार्थों के कारोबार की जटिलताओं के बारे में हमें बहुत कुछ बताया है।’’ नशीले पदार्थों के कारोबार के विरुद्ध हवाई हमले करने और साथ ही सैनिक कार्रवाइयों को सुरक्षा छतरी प्रदान करने में मुख्य भूमिका बी-52 युद्धक विमान ही अदा कर रहे हैं। गत 6 दशकों से अपने जौहर दिखा रहे इस विमान के इतिहास में अब एक ताजा तरीन कांड लिखा जा रहा है।

वियतनाम युद्ध में ‘कार्पेट बाम्बिंग’ और 1991 के खाड़ी युद्ध में इसकी रणनीतिक भूमिका ने दिखा दिया है कि परमाणु युद्ध को रोकने के लिए बी-52 बमवर्षक विमान कितने महत्वपूर्ण हैं। जनवरी में अमरीका के लुइसियाना प्रांत से लेकर गुआम और वहां से उत्तर कोरिया के समीप बी-52 युद्धक विमानों को ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा। मूल रूप में अब तक 750 बी-52 बमवर्षक विमानों का निर्माण हुआ है जिनमें से अमरीकी वायुसेना अभी भी 75 विमानों का प्रयोग कर रही है। सबसे पहले बी-52 1961 में निर्मित हुआ था और इसे ‘नाइट ट्रेन’ का नाम दिया गया था।-एरिक श्मिट

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