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समाराः पहली बार लागू किये गये वीडियो असिस्टेंट रेफरी (वार) की बदौलत पेनल्टी की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है और रूस में चल रहा 21वां विश्वकप पेनल्टी के मामले में नया रिकॉर्ड बना सकता है।

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विश्वकप में शुक्रवार को नाइजीरिया और आइसलैंड के बीच हुए मैच में भी जिफली सिगुरडसन को पेनल्टी हासिल हुई थी लेकिन वह इससे चूक गये और यूरोपीय टीम को 0-2 की हार झेलनी पड़ी गयी। यह टूर्नामेंट के 26 मैचों में 12वीं पेनल्टी थी। अब तक कुल दी गयी पेनल्टी में नौ पर गोल हुये हैं।

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इससे पहले ब्राजील में चार वर्ष पहले हुये विश्वकप में पूरे टूर्नामेंट में ही 13 पेनल्टी दी गयी थीं। विश्वकप में अभी तक सर्वाधिक 18 पेनल्टी का रिकार्ड है जो वर्ष 2002 में बना था। रूस में चल रहे मौजूदा टूर्नामेंट में वार तकनीक का इस्तेमाल पहली बार किया गया है जिसमें से छह पेनल्टी वीडियो रिव्यू के बाद दी गयी हैं।

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इससे पहले ब्राजील के कोस्टा रिका के खिलाफ मैच में नेमार को बॉक्स में गिराने पर ब्राजील को पेनल्टी दी गयी थी जिसका कोस्टा रिका के खिलाड़यिों ने कड़ा विरोध किया। रेफरी ने फिर साइडलाइन के बाहर जाकर रिप्ले देखे और पेनल्टी देने के अपने फैसले को ही रद्द कर दिया।

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अंतरराष्ट्रीय फुटबाल महासंघ (फीफा) के रेफरी निदेशक मासिमो बुसाका ने टूर्नामेंट से पूर्व कहा था कि वार तकनीक प्रशंसकों और खिलाड़यिों के लिये सही नहीं रहेगी। हालांकि ब्राजील और इंग्लैंड ने वार तकनीक का समर्थन किया था जबकि आस्ट्रेलिया के कोच बर्ट वान मारविक ने फ्रांस के खिलाफ उनकी टीम को मिली हार के लिये इस तकनीक को जिम्मेवार ठहराया है।

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फिलहाल टूर्नामेंट में पेनल्टी का औसत प्रति मैच 0.46 है और जिस तरह से पेनल्टी की संख्या बढ़ रही है उससे विश्वकप के अंत तक इसकी संख्या 29 तक पहुंचने की उम्मीद है।