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जालन्धर : लंदन में महिला विश्व कप की स्टेज सज गई है। शनिवार से यह ऐतिहासिक टूर्नामैंट शुरू हो जाएगा। टूर्नामैंट में आठ साल बाद भारतीय वुमंस हॉकी टीम की एंट्री हुई है। भारत की कमान अभी रानी रामपाल के हाथों में हैं। उनसे हॉकी फैंस को काफी उम्मीदें होंगी। अब लंदन में शुरू होने वाले विश्व कप के दौरान भारतीय टीम पूल बी में इंगलैंड, आयरलैंड और यू.एस.ए. के साथ मैच खेलेगी। भारतीय टीम में कप्तानी रानी रामपाल के अलावा सुनीता लाकड़ा पर दारमोदार होगा। बता दें कि 8 साल पहले यानी 2010 में भारतीय टीम सुरिंदर कौर के नेतृत्व में विश्व कप में उतरी थी। 
हमें अनुभवी प्लेयर का मिलेगा फायदा
भारतीय टीम की कप्तान रानी रामपाल का कहना है कि हम आठ साल बाद विश्व कप में दोबारा खेलने जाएंगे। इस बार हम अपनी बैस्ट टीम लेकर जा रहे हैं। हमारी कई प्लेयर्स ऐसी हैं जिन्होंने इंटरनैशनल लेवल पर 100 से ज्यादा मैच खेले हैं। इसके अलावा हॉकी रैंकिंग में टॉप-10 में होना भी हमें फायदा देगा। 
भारतीय टीम के मैच 
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21 जुलाई विरुद्ध इंगलैंड शाम 4.30 बजे
26 जुलाई विरुद्ध आयरलैंड शाम 6.30 बजे
29 जुलाई विरुद्ध यू.एस.ए. शाम 9.30 बजे
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मजबूती : टीम में कई प्लेयर्स ऐसी हैं जिनके पास 100 से ज्यादा इंटरनैशनल मैच खेलने का अनुभव है। 
कमजोरी: महिला टीम कोच हरेंद्र सिंह के रहते पहली बार टॉप-10 में पहुंची थी। अब हरेंद्र मैंस टीम के कोच हैं। ऐसे में महिला टीम पर मनोविज्ञानिक फायदा नहीं मिलेगा।

अफ्रीका का प्रदर्शन सबसे खराब
अफ्रीका की टीमों का विश्व कप में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। केवल 1998 में साऊथ अफ्रीका टीम सर्वश्रेष्ठ सातवें स्थान पर पहुंची थी। इसी तरह एशिया से 3 बार टीमें तीसरा स्थान हासिल करने में कामयाब रह चुकी है।

यूरोप का रहा है विश्व कप पर कब्जा 
हॉकी विश्व कप में शुरु से ही यूरोप का कब्जा रहा है। यूरोप की 2 टीमें नीदरलैंड और जर्मनी सर्वाधिक 9 बार यह टूर्नामैंट जीत चुके हैं। अमरीकन कंट्री अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया 2 बार विश्व कप जीत चुकी है।