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प्योंगचांग: शीतकालीन खेलों में लंबे समय से भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे शिवा केशवन ने रविवार को प्योंगचांग शीतकालीन ओलंपिक की पुरुष ल्यूज एकल स्पर्धा में 34वें स्थान पर रहने के बाद अपने दो दशक से अधिक लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कहा। 36 साल के केशवन ने ओलंपिक अभियान का सर्वश्रेष्ठ समय निकाला और तीसरे राउंड की हीट में 1344 मीटर के ट्रैक को 48.9 सेकेंड में पूरा किया। वह तीसरी हीट में 40 प्रतिभागियों में 30वें जबकि तीन दौर के बाद कुल 34वें स्थान पर रहे।

परिवार के सदस्य भी प्योंगचांग पहुंचे
तीन दौर के बाद शीर्ष 20 में जगह नहीं बनाने के कारण केशवन चौथे और अंतिम दौर में हिस्सा नहीं ले पाए जिसमें पदक का फैसला हुआ। केशवन दूसरे दौर के बाद भी कुल 34वें स्थान पर चल रहे थे। तीन दौर के बाद उनका कुल समय दो मिनट 28.188 सेकेंड रहा। आस्ट्रिया के डेविड ग्लेयरशर ने स्वर्ण पदक जीता जबकि अमेरिका के क्रिस माजदेर ने रजत पदक हासिल किया जो उनके देश का पुरुष ल्यूज एकल में पहला पदक है। जर्मनी के योहानेस लुडविग ने कांस्य पदक हासिल किया। केशवन ने फिनिश लाइन पार करते ही दर्शकों का अभिवादन किया और अपने स्लेड को अंतिम बार सिर के ऊपर उठाकर दर्शकों की ओर लहराया। दर्शकों के बीच उनके परिवार के सदस्य भी मौजूद थे।         

हिमाचल के मनाली के समीप वशिष्ठ के रहने वाले केशवन दो शतक से अधिक समय तक देश में शीतकालीन ओलंपिक का चेहरा रहे। उन्होंने प्योंगयांग खेलों से ठीक पहले कहा था कि शीतकालीन ओलंपिक उनके करियर की अंतिम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता होगी। केरल के भारतीय पिता और इतालवी मां के बेटे केशवन का जन्म मनाली में हुआ और वह वहीं पले-बढ़े। उन्होंने 1998 में जापान के नगानो में मात्र 16 बरस की उम्र में पहली बार शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने प्रत्येक शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लिया। वह ल्यूज में गत एशिया चैंपियन और सबसे तेज समय का रिकार्ड बनाने वाले खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2011, 2012, 2016 और 2017 में एशिया ल्यूज चैंपियनशिप जीती।