Sports

मुंबईः भारतीय हाॅकी टीम की आखिरी क्षणों में गोल गंवाने की समस्या ने चिंताएं खड़ी कर दी हैं लेकिन पुरूष टीम के कोच हरेंद्र सिंह ने मनोचिकित्सक रखने के विचार को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि इस शब्द में ‘नकारात्मक झलक’ आती है।           

पुरूष टीम ने हाल में समाप्त हुए एशियाई खेलों में सेमीफाइनल में शूटआउट में मलेशिया से हारने के बाद कांस्य पदक अपने नाम किया। भारत ने कांस्य पदक के प्ले आफ में पाकिस्तान को हराया था। इससे टीम स्वर्ण पदक से तो चूकी ही, साथ ही 2020 ओलंपिक के लिये सीधे क्वालीफाई करने का मौका भी गंवा बैठी। यह पूछने पर कि टीम को दबाव भरे हालात से निपटने के लिये पेशेवर मदद की जरूरत है तो हरेंद्र ने इससे इनकार किया। उन्होंने पूछा, ‘‘आपको मनोचिकित्सक की जरूरत क्यों है। ’’          

उन्होंने टीम की जर्सी लांच करने के मौके पर कहा, ‘‘अगर आत्मविश्वास हासिल करना ही लक्ष्य है तो आप एक सामान्य व्यक्ति से संपर्क कर सकते हैं और उससे प्रेरणा ले सकते हैं। मनोचिकित्सक शब्द में नकारात्मक झलक आती है और खिलाडिय़ों को लगता है कि वे कुछ चीज गलत कर रहे हैं जिसके लिये उन्हें मनोचिकित्सक की जरूरत है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे वो शब्द नहीं पता। किसी भी टीम में सबसे बड़ा मनोचिकित्सक कोच होता है और आप खुद होते हैं। अगर मैं खुद को प्रेरित नहीं करूंगा तो कोई भी शब्द मुझे प्रेरित नहीं कर सकते।’’
PunjabKesari

हरेंद्र ने कहा कि कोच का काम यह सुनिश्चित करना है कि खिलाडिय़ों की भावनात्मक जरूरतें समझीं जायें और उनका निवारण किया जाये। उन्होंने कहा, ‘‘मनोचिकित्सक के पास जाने और उससे मदद लेने के बजाय इन चीजों पर ध्यान दिया जाये क्योंकि उसे टीम और खेल के बारे में कोई जानकारी नहीं है, और यह भी नहीं पता कि खिलाड़ी किस तरह बर्ताव करते हैं। ’’ भारतीय टीम की जर्सी चोटी के डिकााइनर नरेंद्र कुमार ने डिजाइन की है। इसे हॉकी के दिग्गजों अजीत पाल सिंह, अशोक कुमार, धनराज पिल्ले, दिलीप टिर्की, संदीप सिंह की उपस्थिति में हरेंद्र के साथ राष्ट्रीय पुरुष टीम ने प्रर्दिशत किया।