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नई दिल्ली : बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ऐसे व्यक्ति हैं जो हमेशा निरंतरता में भरोसा रखते हैं और उनका कहना है कि सात महीनों के अंदर सात कप्तान होना ‘आदर्श नहीं’ है लेकिन कुछ अपरिहार्य कारणों से चीजें इस तरह से हुई कि ऐसा करना पड़ा। गांगुली ने अपना 50वां जन्मदिन लंदन में अपने दोस्तों और परिवार के साथ मनाया। इस दौरान एक इंटरव्यू में उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए। 

सवाल : हमने विराट कोहली, रोहित शर्मा, केएल राहुल, ऋषभ पंत, हार्दिक पंड्या, जसप्रीत बुमराह को भारतीय कप्तान के तौर पर देखा और अब वनडे में शिखर धवन। निरंतरता प्रभावित हुई। आपका क्या कहना है?
जवाब : मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि इतने कम समय में सात अलग कप्तान रखना आदर्श नहीं है लेकिन ऐसा इसलिये हुआ क्याोंकि कुछ अपरिहार्य परिस्थितियां पैदा हुई। जैसे रोहित सफेद गेंद क्रिकेट में दक्षिण अफ्रीका में अगुआई करने वाले थे लेकिन दौरे से पहले वह चोटिल हो गए। इसलिए राहुल ने वनडे में कप्तानी की और फिर हाल में दक्षिण अफ्रीका की घरेलू श्रृंखला में राहुल श्रृंखला शुरू होने से एक दिन पहले चोटिल हो गया। इंग्लैंड में रोहित अभ्यास मैच खेल रहा था जब उसे कोविड-19 संक्रमण का पता चला। इन हालात के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। कैलेंडर इस तरह का है कि हमें खिलाडिय़ों को ब्रेक देना होता है और फिर किसी को चोट भी लग जाती है तो हमें कार्यभार प्रबंधन को भी देखना होता है। आपको मुख्य कोच राहुल द्रविड़ की परिस्थिति को भी समझना होगा कि प्रत्येक श्रृंखला में अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण हमें नया कप्तान रखना पड़ा।

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सवाल : आपको लगता है कि व्यस्त एफटीपी (भविष्य दौरा कार्यक्रम) ऐसी स्थितियां बना रहा है जिसमें हम खिलाड़ियों को कार्यभार प्रबंधन के मुद्दों के कारण कई ब्रेक लेते देख रहे हैं?
जवाब : अपने पूरे अंतरराष्ट्रीय करियर में मेरा मानना रहा है कि जितना आप खेलोगे, उतना बेहतर होगे और उतना ही फिट होगे। इस स्तर पर आपको ‘गेम टाइम’ चाहिए और आप जितने ज्यादा से ज्यादा मैच खेलोगे, उतना आपका शरीर मजबूत होगा। हां, आईपीएल 2008 से शुरू हुआ लेकिन मैं चाहूंगा कि आप देखें कि हमने अपने करियर में कितना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला है। अगर आप तुलना करो तो कैलेंडर वर्ष में भारतीय टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का स्तर ज्यादा नहीं बढ़ा है। हमने काफी वनडे क्रिकेट खेला इसलिए अगर आप देखोगे तो अंतरराष्ट्रीय मैचों के दिन की संख्या लगभग समान ही है।

सवाल : अब आईपीएल में 10 टीमें हैं और बीसीसीआई को आगामी वर्षों में टीमों और मीडिया अधिकारों की बिक्री से 60,000 करोड़ रूपये से ज्यादा की कमाई होगी। तो आपको नहीं लगता कि भविष्य में हम जो खिलाड़ी तैयार करेंगे, उनके हुनर से समझौता होगा क्योंकि संख्या भी बढ़ेगी?
जवाब : बिलकुल नहीं। बल्कि इसके उलट, मैं कहूंगा कि भारतीय क्रिकेट में प्रतिभा का ‘पूल’ समय के साथ बढ़ेगा ही और आईपीएल ने हमें दिखा दिया है कि इस देश में हमारे पास प्रतिभा में कितनी गहराई है। आप दो भारतीय टीमों (सफेद और लाल गेंद) को देखो कि हमने इतने वर्षों में किस तरह के खिलाड़ी तैयार किए हैं।

सवाल : अब आपके बीसीसीआई अध्यक्ष पद के बारे में बात करें तो आपको अब करीब तीन साल हो गये हैं, आपका कार्यकाल कैसा रहा है और आपको किस तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ा है?
जवाब : जब 2019 में मैं अध्यक्ष बना था तो यह बीसीसीआई के सदस्य संघों की रजामंदी से था और अभी तक यह शानदार अनुभव रहा है। आपको भारतीय क्रिकेट की बेहतरी के लिए काम करने और बदलाव करने का मौका मिलता है। कोविड-19 के 2 वर्षों के दौरान टूर्नामेंट आयोजित कराना चुनौतीपूर्ण था लेकिन बीसीसीआई ने बतौर टीम आईपीएल और घरेलू क्रिकेट (पुरूष-महिला) दोनों का बेहतर आयोजन किया। जब मैं बीसीसीआई से जुड़ा तो मुझे प्रबंधन में 5 साल का अनुभव था क्योंकि मैं कैब (बंगाल क्रिकेट संघ) संयुक्त सचिव और फिर बाद में अध्यक्ष के तौर पर काम कर चुका था।

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सवाल : क्या आपको 2008 सत्र में संन्यास लेने का पछतावा है क्योंकि तब आप शायद टेस्ट क्रिकेट में अपनी सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी कर रहे थे जिसमें आपने इंग्लैंड में इंग्लैंड के खिलाफ और घरेलू सरजमीं पर पाकिस्तान (मैन ऑफ द सीरीज) के खिलाफ रन जुटाये और आस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार अंतिम पारी खेली थी?
जवाब : मैं खुद के बारे में एक चीज आपको बता सकता हूं। मुझे अपनी जिंदगी में किसी भी चीज का पछतावा नहीं हुआ है। अगर मैंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ श्रृंखला के बाद संन्यास लिया तो तब मैं अपने शिखर पर था। आप टेस्ट मैचों के बारे में बात कर रहे हो, आपको बताना चाहूंगा कि मैंने 2007 सत्र में करीब 1250 रन बनाए थे, जब मुझे वनडे टीम से बाहर कर दिया गया था। मैंने 50 ओवर के क्रिकेट में उस साल 12 अर्धशतक बनाए थे। 

सवाल : क्या आप ड्रेसिंग रूम ‘मिस’ करते हो? 
जवाब : मैं ड्रेसिंग रूम ‘मिस’ नहीं करता। मैंने कभी किसी चीज को ‘मिस’ नहीं किया। कुछ भी हमेशा नहीं रहता। हर चीज का अंत होता है। मेरा करियर शानदार रहा और समय आगे बढऩे का था और मैं खुश हूं कि मैंने शिखर पर अपना करियर खत्म किया। 

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सवाल : 1992 और 1996 के चरण के दौरान और फिर ग्रेग चैपल युग के दौरान करीब एक साल के लिए जब आप भारतीय टीम से बाहर थे, क्या आपको कभी महसूस हुआ कि बाहरी ताकतें आपका करियर खत्म करने की कोशिश कर रही थीं। क्या आप गुस्सा महसूस करते हो या आपको उस चरण के लिए कोई शिकायत है? 
जवाब : मैंने जिंदगी में एक बात सीखी है। कोई भी आपका करियर बर्बाद नहीं कर सकता। अगर आप में हुनर, आत्मविश्वास है तो भाग्य आपके हाथों में है।