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नई दिल्ली : राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता मनिका बत्रा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया जिसने भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) को उनकी याचिका पर निलंबित कर दिया। मनिका ने कहा कि टीटीएफआई के बुरे बर्ताव के कारण उन्हें कानूनी रास्ता अपनाना पड़ा।

हाल में विश्व रैंकिंग में शीर्ष 50 में जगह बनाने वाली मनिका ने एक बयान में कहा कि मुझे भारतीय न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था। मैंने अपने देश को गौरवान्वित करने के लिए अपनी जिंदगी खेलों के लिए समर्पित कर दी। मैं भारत सरकार, मेरा समर्थन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की और मुझे जो समर्थन मिला, उसके लिये अपने देश के लोगों की आभारी हूं।

मनिका ने कहा कि मुझे अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि मेरे पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था चूंकि मुझ पर अत्यधिक दबाव बनाया गया और बुरा बर्ताव किया गया था जिससे मैं मानसिक रूप से बहुत परेशान थी। मनिका ने कहा कि टोक्यो ओलिम्पिक से बिलकुल पहले ही मुझे इस तरह की मुश्किल परिस्थिति का सामना करना पड़ा। इसका ओलिम्पिक में मेरे खेल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। मेरा इरादा सिर्फ खुद के लिए और भारत के सभी मेहनत करने वाले खिलाडिय़ों के लिए सुरक्षा हासिल करना था जिन्हें देश के लिए खेलने और प्रदर्शन करने की अनुमति दी जानी चाहिए। 

बत्रा को पिछले साल एशियाई टेबल टेनिस चैम्पियनशिप के लिए भारतीय टीम में नहीं चुना गया था। उन्होंने राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप रॉय पर अपनी एक निजी प्रशिक्षु के हाथों ओलिम्पिक क्वालीफायर मैच गंवाने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि मेरा जीवन में सिर्फ एकमात्र लक्ष्य है और वो भारत को खेलों में गौरवान्वित करना। खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण हमेशा खिलाडिय़ों की मदद के लिए आगे रहते हैं और हमारे देश में खेल प्रगति कर रहा है।