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इस्तांबुल : उइगर समुदाय के अधिकारों की वकालत करते हुए यूनियन ऑफ इंटरनेशनल ईस्ट तुर्किस्तान एनजीओ के कई कार्यकर्ताओं ने वीरवार को तुर्की के वॉलीबॉल स्टेडियम में घुसपैठ की और चीन और इटली के बीच निर्धारित खेल को रोक दिया। कार्यकर्ता  तुर्की के अंकारा स्टेडियम में आयोजित होने वाली   वॉलीबॉल महिला राष्ट्र लीग में चीन की भागीदारी के खिलाफ हैं। प्रदर्शन में 150 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया जिसमें गुड पार्टी के उपाध्यक्ष रिडवान उज और फ्यूचर पार्टी के उपाध्यक्ष हाकवेर्दी अल्तुग भी थे। इससे पहले भी इस्लामिक विद्वान और बुद्धिजीवी जून के मध्य में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के लिए इस्तांबुल में एकत्र हुए थे और अपना विरोध जताया था। 

हाल दिनों में तुर्की के आसपास प्रदर्शन लगातार बढ़ रहे हैं। दुनिया भर में मानवाधिकार कार्यकर्ता उइगरों पर चीन के अत्याचारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जुलाई में ही उरुमकी नरसंहार की 13वीं वर्षगांठ भी थी। 5 जुलाई, 2009 को शिनजियांग में हुए इस नरसंहार ने उइगरों का दर्दनाक यादें दी थीं। 

उइगर मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह हैं, जो मध्य और पूर्वी एशिया में पाया जाता है। उनका मूल क्षेत्र चीन के जनवादी गणराज्य में झिंजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र माना जाता है। झिंजियांग तकनीकी रूप से चीन के भीतर एक स्वायत्त क्षेत्र है। उइगर मुस्लिम हैं और वह मंदारिन को अपनी मूल भाषा नहीं मानते। उनकी संस्कृति भी चीन से अलग है। 

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बता दें कि झिंजियांग में बीते कुछ दर्शकों से आर्थिक समृद्धि आई है। इससे चीनी लोगों को बेहतर नौकरियां मिली जबकि उइगरों को अपनी आजीविका चलाने में मुश्किलें होनी लगी। इसी बीच छिटपुट हिंसाएं हुईं जिसमें से 2009 में एक दंगे में बदल गई। क्षेत्र की राजधानी उरुमकी में 200 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर हान चीनी थे।

रिपोर्टों के अनुसार, 2016 के बाद से चीनी सरकार द्वारा शिनजियांग के शिविरों में एक मिलियन से अधिक उइगर मुसलमानों को हिरासत में रखा गया है। कहा जा रहा है कि शिविरों का मुख्य उद्देश्य चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा का पालन सुनिश्चित करना था।

चीनी अधिकारियों पर जबरन काम कराने, जबरन जन्म नियंत्रण करने, बच्चों को माता-पिता से अलग करने का आरोप लगा था। अमेरिका, कनाडा और नीदरलैंड सहित कई देश चीन पर नरसंहार करने का आरोप लगाकर सामने आए थे। कहा गया कि उइगर की आबादी न बढ़े इसलिए चीनी सरकार जबरन सामूहिक नसबंदी करा रहा है। हालांकि चीन शिनजियांग में मानवाधिकारों के हनन के सभी आरोपों से इनकार करता रहा है।