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पुणे : साल की शुरुआत 148वीं रैंकिंग से करने वाले भारतीय टेनिस खिलाड़ी रामकुमार रामनाथन ने कहा है कि उन्हें बड़े मौके और करीबी मुकाबलों में तरोताजा रहने के लिए कम टूर्नामेंटों में खेलने पर ध्यान देना होगा। रामकुमार की अभी मौजूदा रैंकिंग 130 है। केपीआईटी चैलेंजर उनका इस सत्र का 35वां टूूर्नामेंट है। अपनी सर्व और वॉली की आलोचना होने पर रामकुमार कहते हैं कि मैं जब पिछले साल अमेरिका में था तब मैंने इसका खूब अभ्यास किया था। अब मैं कोर्ट में बेहतर महसूस कर रहा हूं। 

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रामकुमार इस सत्र में 18 चैलेंजर टूर में भाग लेकर 8 में पहले और पांच में दूसरे दौर में बाहर हो गए। वह 3 टूर्नामेंटों के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे और एक के फाइनल में। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन न्यूपोर्ट में हुए एटीपी 205 हॉल ऑफ फेम ओपन के फाइनल में पहुंचना था। उन्होंने खराब सत्र के लिए अपने खेल के तरीके की जगह खुद को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा- चैलेंजर टूर्नामेंटों में भी खेलना आसान नहीं है। खिलाड़ी जीत के भूखे है और वे अच्छा खेल रहे है। जब मैं हारता हूं तो यह मेरी गलती है। शायद मैं कई शॉट पर चूक जाता हूं लेकिन मानसिक रूप से मैं कमजोर नहीं हूं। मैच का नतीजा कई कारणों पर निर्भर करता है।’’ 

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चेन्नई के इस 24 साल के खिलाड़ी ने कहा- मैं अब भी 130-140 की गति से शाट लगाता हूं, मेरे खेल में कोई कमी नहीं। मुझे अपने तरकस में और तीर शामिल करना होगा। यह निरंतर तरीका है। अभी तक इसमें सुधार हो रहा है। यह लंबा सत्र है। इसमें उतार-चढ़ाव आया है। मैं कई करीबी मैचों में हारा जिसमें जीत सकता था। आगामी सत्र के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा- मुझे टूर्नामेंट चयन में बेहतर योजना बनानी होगी। चैलेंजर के नियम बदल रहे हैं। मुझे छोटे ब्रेक लेने की जरूरत है। शायद 35 की जगह 25 टूर्नामेंटों में खेलूं। करीबी मैच हारना मुश्किल होता है और जब आप तरोताजा होते है तो ऐसे मैचों में बड़े अंक जुटा सकते हैं।