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नई दिल्ली: उभरते हुए खिलाड़ी सुमित नागल गुस्से से होने वाले नुकसान हो समझ गए हैं और सफलता के लिए वह गुस्से को काबू में रखने पर ध्यान दे रहे हैं लेकिन उनके मेंटर महेश भूपति का मानना है कि अगर नतीजे आ रहे हैं तो आक्रामक स्वभाव कोई अपराध नहीं है।  

नागल ने अपने करियर की सबसे बड़ी जीत दर्ज करते हुए बेंगलुरू में एक लाख डालर इनामी एटीपी चैलेंजर खिताब जीता और फिर अपने पहली विश्व टूर प्रतियोगिता टाटा ओपन महाराष्ट्र के लिए क्वालीफाई किया और नवीनतन रैंकिंग में वह करियर के सर्वश्रेष्ठ 216वें स्थान पर हैं।  

हरियाणा के इस खिलाड़ी ने अपने 2017 सत्र का आकलन करते हुए पीटीआई से कहा, ‘‘पिछले साल की तुलना में मैं मजबूत हो गया हूं। मानसिक रूप से अब मैं कहीं बेहतर हूं। पिछले साल मैंने कई मैच गंवाए जहां मैंने हार मान ली या कुछ मिनट के बाद पागल सा हो गया। मैंने महसूस ही नहीं किया कि मैं पहले ही 4-5 गेम हार चुका हूं।’’  उन्होंने कहा, ‘‘इस साल यह बेहतर हो गया है। मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर रहा हूं और इससे अपने खेल को प्रभावित नहीं होने दे रहा।’’  

नागल को कई बार संदिग्ध फैसलों के बाद अंपायर से बहस करते या मैचों के दौरान खुद से ही नाराज होने देखा गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि अंडर 12 और अंडर 14 दिनों से ही यह उनके लिए मुद्दा रहा है।  यह पूछने पर कि वह इतने आक्रामक कैसे हैं, नागल ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता। मैं ऐसा ही हूं क्योंकि मेरे अंदर काफी गुस्सा है। मैं इसे नियंत्रित करना और इस ऊर्जा का इस्तेमाल जहां जरूरी है वहां करना सीख रहा हूं।’’