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मुम्बई : यशस्वी जायसवाल की उम्र 21 से भी कम है। इतनी छोटी उम्र में वह एक बहुत ही संघर्षपूर्ण दौर से गुजरे हैं। 10 साल पहले उत्तर प्रदेश के भदोही नामक एक छोटे से शहर से यशस्वी क्रिकेट खेलने के लिए मुंबई आए। उस वक्त उनके पास रहने के लिए मुंबई में घर तक नहीं था। ना ही उतने पैसे थे कि कोई घर भाड़े पर लिया जा सके। वह टेंट में सोते थे। खाने तक की समस्या थी। कभी-कभी तो उन्हें पूरा दिन ग्लुकोज बिस्कुट खाकर काटना पड़ता था। हालात ऐसे थे कि मुंबई में अपने गुजर-बसर के लिए वह आजाद मैदान के पास पानीपुरी बेचते थे। अपने त्याग और संघर्ष के उन दिनों को याद करते हुए यशस्वी कहते हैं कि मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मेरे माता-पिता और परिवार को ‘एक आरामदायक जीवन’ देना है। 

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रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल से पहले उन्होंने कहा कि मैंने जो यात्रा की है, वह जीवन भर मेरे साथ रहेगी। उन दिनों को याद कर के मुझे हमेशा आत्मविश्वास मिलेगा। हां, अब मुझे वित्तीय रूप से कोई परेशानी नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है कि इससे मेरे सोच की पद्धति में कोई बदलाव आएगा। अपने संघर्ष के दिनों में मैं जैसा था, आज भी वैसा ही हूं। मैं बिल्कुल नहीं बदला हूं और ना बदलने वाला हूं। मैं आज तक जैसा सोचता आया हूं, आगे भी वैसे ही सोचूंगा। मुझे पता है कि मंजिल तक पहुंचने के लिए कितनी मेहनत और निष्ठा की आवश्यकता होती है।

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दो साल पहले यशस्वी ने अंडर-19 विश्व कप में काफी बढिय़ा प्रदर्शन किया था। छह मैचों में 400 रनों के साथ वह सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। उस दौरान यशस्वी के कवर ड्राइव और कट शॉट क्रिकेट जगत की चर्चा का विषय बने हुए थे। आईपीएल 2022 में राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें रिटेन भी किया था, जहां उन्होंने जॉस बटलर के साथ बढिय़ा बल्लेबाजी की। उन्होंने अपने बढिय़ा प्रदर्शन को रणजी ट्रॉफी में भी जारी रखा।