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सेंट पीटर्सबर्गः फुटबॉल विश्व कप में कल स्पेन के सफर का अंत होने के बाद उसकी हार को लेकर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया। स्पेन एक के बाद एक लगातार किसी तीसरे बड़े टूर्नामेंट में नाकाम रहा। कल रूस के खिलाफ प्री - क्वार्टर फाइनल मैच में मुकाबला नियमित एवं अतिरिक्त समय के बाद 1-1 से बराबर रहने पर स्पेन पेनल्टी शूटआउट में रूस से 3-4 से हार गया।           

स्पेन नीदरलैंड के हाथों 2014 के विश्व कप में हारकर पहले ही दौर से बाहर हो गया था और यूरो 2016 में प्री - क्वार्टर फाइनल में इटली के हाथों हारकर उसका सफर खत्म हो गया था। लेकिन इस बार विश्व कप में उसके सफर का अंत और दुखद रहा है क्योंकि वह दुनिया की 70 वें नंबर की टीम रूस से हारकर बाहर हुई है जो विश्व कप में सबसे निचली रैंकिंग वाली टीम है।
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यह कहना अतिश्योक्ति होगा कि रूस जीत का हकदार था क्योंकि 26 प्रतिशत समय ही गेंद पर उसका कब्जा था और उसने छह बार गोल करने की कोशिश की जबकि स्पेन ने 25 बार गोल करने की कोशिश की। लेकिन रूस के पास योजना थी जिस पर उन्होंने सही से काम किया और अंत में मैच अपने नाम करने में सफल रहा।            
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अब इन चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है कि स्पेन के लिए क्या गलत हुआ। स्पेन के पहले मैच से दो दिन पहले हटाए गए कोच जुलेन लोपेटगुई और उन्हें हटाने वाले स्पेनिश फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष लुई रूबियालेज को अब स्पेन की हार के लिए जिम्मेदार लोगों में गिना जाएगा। लेकिन स्पेन के मौजूदा कोच फर्नांडो हिएरो और गोल के लिहाज से टूर्नामेंट में फ्लॉप रहे डेविड डे गिया को भी दोषी ठहराया जाएगा। 
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स्पेनिश अखबार ने अपनी खबर में लिखा, ‘‘ शुरूआत और अंत दोनों खराब रहे। ’’ रूबियालेज ने कहा, ‘‘ लोपेटगुई को हटाने के साथ समस्याएं शुरू हुईं और टीम में फॉर्म एवं नये विचारों की कमी के साथ जारी रही। ’’ हालांकि उन्होंने साफ कर दिया कि उन्हें लोपेटगुई को हटाने का कोई पछतावा नहीं है।