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चेन्नई ( निकलेश जैन ) भारत के शीर्ष ग्रांड मास्टर मे शुमार पूर्व एशियन चैम्पियन , विश्व शतरंज ओलंपियाड कांस्य पदक विजेता टीम के सदस्य और लगातार कई बारा शतरंज विश्व कप के लिए चयनित होने वाले ग्रांड मास्टर एसपी सेथुरमन नें भारतीय खेल मंत्रालय के शतरंज खिलाड़ियों को मान्यता ना देने पर घोर निराशा जताते हुए कहा है की वह इस बार आखिरी बार अर्जुन अवार्ड के लिए  आवेदन दे रहे है और इसके बाद वह कभी इसके लिए आवेदन नहीं करेंगे । इसके एक दिन पहले भारतीय टीम के पूर्व चयनकर्ता और कोच रहे ग्रांड मास्टर आरबी रमेश नें लगातार अंतर्राष्ट्रीय पदक दिलाने पर भी देश की खेल नीति की आलोचना करते हुए कहा था की उन्हे सैकड़ों अंतर्राष्ट्रीय पदक दिलाने के बाद भी सरकार से कभी कोई सम्मान नहीं मिला उन्होने यह भी बताया की कैसे अब तक विदेशी कोचो के मुक़ाबले भारतीय कोचों को कभी बराबर मेहनतना नहीं मिलता है ।


खैर शीर्ष भारतीय ग्रांड मास्टर नें कहा की वह रमेश की हर एक बात का समर्थन करते है और लगातार उनकी उपलब्धियों के बाद भी शतरंज खिलाड़ियों को कोई सम्मान ना दिया जाना घोर अन्याय है । उन्होने कहा की विश्व शतरंज ओलंपियाड जिसमें दुनिया के 186 देशो के खिलाड़ी खेलते हुए उसमें कांस्य जीतने के बाद भी सरकार से कोई अवार्ड ना मिलने से उन्हे घोर निराशा हुई थी और उनके खेल पर भी इसका असर पड़ा । उन्होने बताया की कैसे हर वर्ष उनके अभिभावकों को उनके अवार्ड के लिए आवेदन करते और पेपर जमा करते देख उन्हे बेहद तकलीफ होती है इसीलिए इस वर्ष उनका यह अंतिम आवेदन है ।

दरअसल शतरंज है अलग खेल – दुनिया भर के करीब 200 देशो मे खेले जाना वाला शतरंज बाकी खेलो से थोड़ा हटकर है कारण है शतरंज मे सबसे ज्यादा महत्व रेटिंग का और ग्रांड मास्टर इंटरनेशनल मास्टर की पदवी का होता है और सरकार बाकी खेलो के हिसाब से शतरंज रेटिंग को महत्व नहीं देती दूसरा यह खेल चूकी ओलंपिक का हिस्सा नही है और इसका ओलंपियाड अलग से होता है इसकी वजह से यह भारत की ओलंपिक समिति मे भी हिस्सा नहीं है तो भारत को हर वर्ष अनेकों पदक दिलाने वाले इस खेल को भारतीय सरकार की खास खेल नीति मे भी जगह नहीं है जो एक तरह से इन खिलाड़ियों के साथ बड़ा अन्याय है । वही देश के अधिकतर राज्य खेल विभाग भी केंद्र की राह मे चलते हुए शतरंज की उपलब्धियों की अलग तरह से देखते है और शतरंज खिलाड़ी शानदार पदर्शन करते हुए भी अवार्ड पाने से वंचित रह जाते है । बीते वर्षो मे भारत मे सिर्फ महाराष्ट्र सरकार नें शतरंज खेल के महत्व को स्वीकार करते हुए सबसे ज्यादा अवार्ड शतरंज खिलाड़ियों को दिये है ।