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स्पोर्ट्स डेस्कः दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो आपसे कहीं ज्यादा तंगी में हैं, लेकिन फिर भी अपना गुजारा हंसी-खुशी से कर रहे हैं। आपने भी अपने आसपास कई लोगों को कहते सुना होगा कि भाई ज़िंदगी से बहुत परेशान हो गया हूं कुछ अच्छा हो ही नहीं रहा है, लेकिन वास्तव में ये बात वहीं लोग कहते हैं जो अपनी मंजिल को पाने की चाहत में लगन से मेहनत नहीं करते। नहीं तो कहा जाता है कि शिद्दत से चाहो तो भगवान् भी मिल जाते है फिर कोई लक्ष्य क्या चीज़ है। ऐसे कई मिसाल हमें निजी जीवन में देखने को मिलते हैं, जिसे देख हम खुद भी यकीन नहीं कर पाते। ऐसे तमाम लोग है जो शारीरिक रूप से हमारे आपके जैसे नहीं है, यानी कुदरत या किसी हादसे के कारण वे शारीरिक रूप से अक्षम हो चुके हैं, लेकिन उन्होंने अपने जज्बे, लगन व परिश्रम के बल बूते अपनी मंजिल को पाया है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ खिलाड़ियों की कहानी बताएंगे जिनके बारे में जानकर आप भी दांतों तले उंगली दबा लेंगे।}

नाम- श्वेता शर्मा
उम्र- 32 साल
मेडल- 14
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ऐसा रहा श्वेता का करियर
श्वेता शर्मा एक पैरा एथलीट है, जिनका नीचे का हिस्सा बेजान है और चल-फिर नहीं सकती। तीन साल पहले तक इन्होंने खेलने की कोशिश नहीं की। अब यह 8 अक्तूबर से इंडोनेशिया के जकार्ता में शुरू होने जा रहे एशियन पैरा गेम्स के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। साल 2016 में पती की नौकरी छूट जाने के बाद श्वेता ने नौकरी करने की सोची। उस दौरान वह पैरालिंपियन दीपा मलिक से मिली और उन्होंने श्वेता को खेलने की राय दी। स्टेडियम में आने-जाने की मुश्किल के कारण श्वेता ने यूट्यूब पर ही इस खेल के बारे में जाना। साल 2017 में शाॅटपुट में गोल्ड जीतने के बाद उन्होंने नेशनल पैरा गेम्स और एशियन ट्रायल में एक-एक गोल्ड और एक-एक ब्राॅन्ज मेडल जीता।

नाम- नारायण ठाकुर
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नारायण का आधा शरीर है पैरालाइज्ड, कड़ी मेहनत करने के बाद बने पैरा एथलेटिक्स

नारायण बचपन से ही वह हाफ पैरालाइज्ड हैं। दिल्ली के रहने वाले नारायण जब 13 साल के थे तब उनके पिता की मौत हो गई थी। इनकी माता सिगरेट की छोटी सी दुकान चलाती हैं। अपने परिवार की मदद के लिए उन्होंने काम करने की सोची, लेकिन उन्हें कोई भी काम नहीं मिल रहा था। फिर उन्होंने कठोर परिश्रम करके उन्होंने अपने शरीर को चलने फिरने के लायक बनाया। करीब चार साल मेहनत करने के बाद नारायण को साल 2014 में पैरा एथलेटिक्स खेलने का मौका मिला। आपको बता दें कि नारायण ने हाल ही में पैरा नेशनल एथलेटिक्स में 100 और 200 मीटर की रेस जीती। अब वह जकार्ता गेम्स की तैयारी के लिए मेहनत कर रहे हैं।

सुमित एक्सीडेंट में गंवा बैठे थे पैर
नाम- सुमित नवल
उम्र- 20 साल
सुमित 3 साल पहले पहलवानी करते थे, लेकिन साल 2015 में एक्सीडेंट के दौरान वह अपना बायां पैर गंवा बैठे। इसके बाद उनकी पहलवानी भी छूट गई। सुमित के हाथों में ताकत थी और इसलिए उन्होंने जेवलिन थ्रो करने का फैसला लिया। प्राॅस्थैटिक पैर की मदद से उन्होंने धीरे-धीरे चलना सीखा। फिर तो सुमित ने मानो मेडल की लाइन ही लगा दी। हाल ही में हुए पैरा नेशनल गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया।