कोचिंग से जुडऩा चाहते हैं संदीप सिंह

Edited By ,Updated: 19 Feb, 2017 02:08 PM

sandeep singh

भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह खुद स्वीकार करते हैं कि अब राष्ट्रीय टीम में वापसी के लिहाज से वह उम्रदराज हो गए हैं और इसलिए अब वह युवा खिलाड़ियों ...

नई दिल्ली: भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह खुद स्वीकार करते हैं कि अब राष्ट्रीय टीम में वापसी के लिहाज से वह उम्रदराज हो गए हैं और इसलिए अब वह युवा खिलाड़ियों को ड्रैग फ्लिक की कला में माहिर बनाने के लिए कोचिंग से जुडऩा चाहते हैं। 

संदीप को अपने दिनों में दुनिया का सबसे खतरनाक ड्रैग फ्लिकर में से एक माना जाता था। उन्होंने अपने दिनों में भारतीय हाकी को कुछ यादगार पल दिए लेकिन यह डिफेंडर 2014 से राष्ट्रीय टीम से बाहर है।  इस जुझारू खिलाड़ी ने हालांकि उम्मीद नहीं छोड़ी और वह लगातार कड़ी मेहनत करते रहे। वह आस्ट्रेलियाई और यूरोपीय लीगों के अलावा हाकी इंडिया लीग (एचआईएल) में खेलकर खुद को साबित करते रहे लेकिन पिछले साल एचआईएल के दौरान लगी पीठ की चोट ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।  

संदीप ने कहा कि मेरे पिताजी हमेशा मुझसे कहते हैं कि जो सूरज सुबह को उगता है वह शाम को अस्त होता है। मेरा भी समय था और मैंने लंबे समय तक बने रहने की पूरी कोशिश की। मैंने पर्याप्त हाकी खेली और अब उस खेल को वापस कुछ देना चाहता हूं जिसके कारण आज मैं यहां हूं।उन्होंने कि मेरी कुछ खास योजनाएं हैं। मेरे पास कुछ खास विचार हैं, देसी विचार जिन्हें मैं कोचिंग में लागू करना चाहता हूं। मैं भारतीय ड्रैग फ्लिकर के साथ जमीनी स्तर पर जुड़कर उन्हें तैयार करना चाहता हूं। कौशल के लिहाज से और पेनल्टी कार्नर को गोल में बदलने के आंकड़े को देखते हुए मैं आज भी भारत का नंबर एक ड्रैग फ्लिकर हूं। 

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