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बीजिंग : शीतकालीन ओलंपिक से पहले डोप टेस्ट में नाकाम रहने के बावजूद रूस की टीनएजर कामिला वालिएवा खेलों में महिलाओं की फिगर स्केटिंग स्पर्धा में भाग ले सकेगी। वालिएवा का प्रदर्शन कैसा भी रहेगा वह पदक वितरण समारोह में भाग नहीं ले पाएगी। उनके अलावा शीर्ष तीन में रहने वाली अन्य दो खिलाड़ियों के लिये भी पदक वितरण समारोह नहीं होगा। 

खेल पंचाट ने सोमवार को जारी व्यवस्था में कहा कि 15 वर्ष की वालिएवा को पूरी जांच के बिना अस्थायी तौर पर निलंबित करने की जरूरत नहीं है। पंचाट ने उसके पक्ष में फैसला इसलिए दिया क्योंकि वह अवयस्क है या ‘सुरक्षित व्यक्ति' है और उसके लिए नियम वयस्क खिलाड़ियों से अलग होंगे। सीएएस के महानिदेशक मथियू रीब ने कहा, ‘पैनल का मानना है कि इस खिलाड़ी को ओलंपिक में भाग लेने से रोकने पर उसे अपूरणीय क्षति होगी।' 

वालिएवा और रूस के बाकी स्केटरों का लक्ष्य अब महिलाओं की फिगर स्केटिंग स्पर्धा में क्लीन स्वीप करने का होगा। प्रतियोगिता मंगलवार से बृहस्पतिवार तक चलेगी। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने बाद में कहा कि यदि वालिएवा शीर्ष तीन में जगह बनाती है तो फिर खेलों के दौरान पदक वितरण समारोह नहीं होगा। वालिएवा और रूसी टीम ने एक सप्ताह पहले जिन टीम स्पर्धाओं में पदक जीता है उनका भी पदक वितरण समारोह का आयोजन नहीं किया जाएगा। 

आईओसी ने कहा, ‘पदक वितरण समारोह का आयोजन करना सही नहीं होगा।' वालिएवा को 25 दिसंबर को प्रतिबंधित दवा के सेवन का दोषी पाया गया था लेकिन स्वीडन की लैब का यह जांच नतीजा एक सप्ताह पहले ही आया है। इससे पहले वह रूसी ओलंपिक समिति के लिये स्वर्ण जीत चुकी थी। रिपोर्ट आने में छह सप्ताह के विलंब का कारण स्पष्ट नहीं है लेकिन रूसी अधिकारियों का कहना है कि जनवरी में ओमीक्रोन वैरिएंट के प्रसार के कारण लैब में स्टाफ कम था। 

रूसी डोपिंग निरोधक एजेंसी ने उस पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया था जिसे एक दिन बाद हटा दिया गया। आईओसी और अन्य ने अपील की जिससे मामले की त्वरित सुनवाई हुई। वालिएवा ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये अपना पक्ष रखा।