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स्पोर्ट्स डेस्क: भारत के 2007 टी20 विश्वकप जीतने के बाद क्रिकेट की दुनिया में आईपीएल का आगाज हुआ था। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने टी20 क्रिकेट में लोगों की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुुए 8 टीमों को लेकर इस टूर्नामेंट की शुरूआत की थी। यह टीमें थी -मुंबई इंडियंस (मुंबई), चेन्नई सुपर किंग्स (चेन्नई), राजस्थान रॉयल्स (जयपुर), किंग्स इलेवन पंजाब (मोहाली), रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (बैंगलोर), कोलकाता नाइट राइडर्स (कोलकाता), डेक्कन चार्जर्स (हैदराबाद) और दिल्ली डेयरडेविल्स (दिल्ली)। इस फ्रेंचाइजी लीग में जो खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करता है उसे टीम में रखा जाता है और जो फॉर्म में नहीं होता फ्रेंचाइजी उसे बाहर का रास्ता दिखा देती है, फिर चाहें वह खिलाड़ी कितना भी बड़ा क्यों ना हो। आज हम आपको उन 5 दिग्गज खिलाड़ियों के बारे में बताते हैं जिन्हें उनकी घरेलू फ्रेंचाइजी ने बाहर कर दिया।

ये हैं वह 5 दिग्गज जिन्हें उनकी फ्रैंचाईजी ने किया बाहर

1. वीरेंद्र सहवाग

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अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए विख्यात वीरेंद्र सहवाग को दिल्ली डेयरडेविल्स ने 2008 में आईकॉन के रूप में अपनी टीम के साथ जोड़ा था। 2008 के पहले सीजन में इन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए 14 मैचों में 406 रन बना डाले थे। इस सीजन में उनकी टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। दिल्ली की तरफ 2012 के आईपीएल तक इन्होंने अपनी निरंतरता बरकरार रखी लेकिन 2013 के आईपीएल में बल्ले से यह कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके। 2013 के आईपीएल में सहवाग 24.58 के निराशाजनक औसत से 13 मैचों में सिर्फ 295 रन ही बना सके। उनके इस प्रदर्शन के कारण दिल्ली ने इस विस्फोटक बल्लेबाज की जगह किसी और को मौका देना बेहतर समझा। 2015 के आईपीएल के बाद इन्होंने इस टूर्नामेंट को अलविदा कहा।

2. सौरव गांगुली

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भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक गिने जाने वाले इस बल्लेबाज ने 2008 से 2010 तक कोलकाता नाइट राइडर्स की कप्तानी संभाली। 2010 के आईपीएल में इन्होंने अपनी टीम की तरफ से 14 मैचों में 493 रनों का योगदान दिया था। आईपीएल के इस तीसरे संस्करण को गांगुली के कैरियर का सबसे शानदार प्रदर्शन कहा जा सकता है। गांगुली के इस शानदार प्रदर्शन के बावजूद कोलकाता की टीम मैनेजमेंट ने 2011 के आईपीएल के लिए गांगुली को टीम में जगह नहीं दी। इसके बदले उन्होंने युवा गौतम गंभीर को अपना कैप्टन नियुक्त किया जिनकी कप्तानी में कोलकाता ने 2 आईपीएल खिताब अपने नाम किए।

3. युवराज सिंह

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2007 टी20 विश्वकप में भारत की जीत के हीरो रहे युवराज सिंह को किंग्स इलेवन ने हरभजन सिंह पर प्राथमिकता देते हुए अपनी टीम में शामिल किया था। पंजाब की ओर से आईपीएल के 3 संस्करण खेलने के बाद टीम ने 2010 में युवराज के कान्ट्रैक्ट को रिन्यू नहीं किया। टीम मैनेजमेंट का यह मानना था कि इन तीनों ही आईपीएल संस्करण में युवराज का प्रदर्शन ऐसा नहीं था जिसके लिए वह जाने जाते हैं। 2008 में 299 रन तथा 2009 में इन्होंने टीम की तरफ से 340 रनों का योगदान दिया था। 2010 में इनके प्रदर्शन में और कमी आई तथा इस सीजन के 14 मैचों में उन्होंने सिर्फ 255 रनों का योगदान दिया।

4. वीवीएस लक्ष्मण

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वीवीएस लक्ष्मण को उनके विस्फोटक नहीं बल्कि संयमित क्रिकेट खेलने के लिए जाना जाता है। टेस्ट में उनके द्वारा बनाया गया रिकॉर्ड यही दर्शातें हैं। भारत के मध्यक्रम की रीढ़ माने जाने वाले इस बल्लेबाज को 2008 में डेक्कन चार्जर्स (हैदराबाद) की कप्तानी करने का मौका मिला लेकिन उनकी औसत बल्लेबाजी साथ ही साथ टीम के खराब प्रदर्शन ने टीम से उनके बाहर निकलने में बड़ी भूमिका निभाई। लक्ष्मण ने आईपीएल में हैदराबाद एवं कोच्चि टस्कर्स केरल दो टीमों की तरफ से इस लीग में हिस्सा लिया है। 2011 में हैदराबाद ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया।

5. राहुल द्रविड़

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भारतीय बल्लेबाजी क्रम की दीवार माने जाने इस बल्लेबाज को 2008 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने अपना कप्तान बनाया था। टेस्ट बल्लेबाज का टैग हासिल कर चुके इस बल्लेबाज ने टीम की तरफ से खेले प्रत्येक संस्करण में 250 से अधिक रनों का योगदान दिया। 2008 में टीम के खराब प्रदर्शन के बाद टीम ने उनकी जगह केविन पीटरसन को कप्तान नियुक्त किया। हालाकि एक खिलाड़ी के तौर पर वह अभी भी टीम का हिस्सा बने हुए थे लेकिन 2010 के आईपीएल में विराट कोहली, एबी डिविलियर्स तथा क्रिस गेल जैसे टी20 के दिग्गजों के आगमन ने टीम से राहुल द्रविड़ के बाहर होने का मार्ग प्रशस्त किया।