भारतीय हॉकी टीम की उपकप्तान सविता पूनिया को मिला अर्जुन अवॉर्ड
स्पोर्ट्स डेस्क : सिरसा जिले के जोधकां गांव की रहने वाली भारतीय हॉकी टीम की उपकप्तान सविता पूनिया (28 साल) हाल ही में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजे जाने पर खुशी जाहिर कर चुकी हैं, लेकिन इस खुशी के बावजूद उनके मन में कहीं ना कहीं एक टीस है सरकारी नौकरी को लेकर, क्योंकि 9 साल से वो प्रदेश सरकार से सरकारी नौकरी की गुहार लगा रही हैं, लेकिन अफसरशाहों से ये दलील मिल रही है कि अभी पाॅलिसी बन रही है। उधर, पूनिया इस इंतजार में है कि कब ये पाॅलिसी बने और उन्हें नौकरी मिले।
दादा का सपना पूरा करने के लिए शुरू किया हाॅकी खेलना
अर्जुन अवॉर्ड मिलने के बाद गोलरक्षक सविता पूनिया ने कहा कि आज उन्हें अपने दादा रणजीत सिंह जी की बहुत याद आ रही हैं। वह चाहते थे कि मैं हाॅकी खेलूं। उन्होंने कहा 2009 में जब मैनें शुरूआत की तो वह जिंदा (2013 में देहांत) थे और अब मैं हर कामयाबी में उन्हें याद रखती हूं।
बीमारी के बाद भी मां ने खेलने भेजा
पूनिया के मुताबिक उसकी मां लीलावती देवी नहीं चाहती थी कि वह सिर्फ घर का काम करती ही ना रह जाए। यही कारण था कि देश को पुनिया जैसा गोलरक्षक मिला। पूनिया ने कहा, मां को गठिया था लेकिन पिता के सहयोग और मां के हौंसले ने मुझे हाॅकी के मैदान में खड़ा किया।
मालूम नहीं पॉलिसी कब बनेगी और नौकरी मिलेगी
हरियाणा सरकार से पिछले 9 बरस से नौकरी की गुहार लगा रही पूनिया को केवल आश्वासन ही मिला है नौकरी नहीं। फिलहाल सरकार ने यही कह रही है कि पॉलिसी बन रही है। मुझे हरियाणा सरकार से आज भी नौकरी का इंतजार है। 'मुझे नहीं मालूम कब हरियाणा सरकार की पॉलिसी बनेगी और कब मुझे नौकरी मिलेगी। हालांकि खेल मंत्री राज्यर्धन सिंह राठौड़ ने जल्द से जल्द नौकरी देने का भरोसा दिलाया है।'
किसी एक के कारण नहीं मिला अर्जुन अवाॅर्ड
पूनिया ने कहा अर्जुन अवॉर्ड का श्रेय पूरी भारतीय टीम, स्टाफ और परिवार को जाता है। परिवार ने सहयोग दिया और टीम के बिना कोई कामयाबी और जीत मुमकिन नहीं है। मैंने हॉकी में आज अर्जुन अवॉर्ड सहित जो कुछ भी पाया पूरी टीम के सहयोग के कारण ही पाया।'