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नई दिल्ली : भारतीय जूडो खिलाड़ी दीपांशु बालयान को राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के डोपिंग रोधी अनुशासन पैनल (एडीडीपी) ने प्रतिबंधित पदार्थ फ्यूरोसेमाइड के सेवन के कारण 22 महीने के लिए निलंबित किया है। यूरोसेमाइड एक डायूरेटिक दवा है। पिछले साल जूनियर एशियाई जूडो चैंपियनशिप की राष्ट्रीय टीम के चयन के लिए जून में भोपाल में ट्रायल के दौरान बालयान का नमूना लिया गया था जो प्रतिबंधित पदार्थ के लिए पॉजिटिव आया। उन्होंने 90 किग्रा वर्ग में ट्रायल जीता था। तब से नाडा यह स्थापित करने में नाकाम रहा है कि बालयान ने जानबूझकर डोपिंग की जिसके कारण पैनल ने डोपिंग के लिए कड़ी सजा की सिफारिश को ठुकरा दिया जो नियम 10.2.1 के अनुसार चार साल थी।

इस तरह के अंजाने में किए अपराध के लिए अयोग्यता का समय दो साल होता है लेकिन इसे दो महीने घटा दिया गया क्योंकि खिलाड़ी को नाडा का नोटिस समय पर नहीं मिला। निलंबन का समय अब एक साल 10 महीने का होगा जो 17 अक्टूबर 2019 से लागू होगा जब बालयान को अस्थाई रूप से निलंबित किया गया था। खिलाड़ी के पास अगले 21 दिन में नाडा के डोपिंग रोधी अपील पैनल (एडीएपी) में सजा के खिलाफ अपील करने का मौका होगा।

अध्यक्ष आहना मेहरोत्रा, जगबीर सिंह और डा. पीएसएम चंद्रन की मौजूदगी वाले एडीडीपी पैनल ने निष्कर्ष दिया कि जूडो खिलाड़ी को अपने डॉक्टर को सूचित करना चाहिए था कि वह खिलाड़ी है और इसी के अनुसार उसे दवा दी जानी चाहिए थी। यूरोसेमाइड एक डायूरेटिक है जिससे मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है और इसके कारण वजन कम हो जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार- जूडो में खिलाड़ी को वजन के अनुसार वर्ग में रखा जाता है, डायूरेटिक ने ऐसे में हो सकता है कि खिलाड़ी को अपने वजन से कम वर्ग में प्रतिस्पर्धा पेश करने में मदद की हो और खिलाड़ी किसी निश्चित वर्ग में हिस्सा लेने का पात्र हो गया हो। एडीडीपी ने स्वीकार किया कि बालयान यह स्थापित नहीं कर पाए कि उनकी तरफ से कोई बड़ी गलती नहीं हुई या उन्होंने लापरवाही नहीं की लेकिन वे नाडा की इस बात से भी सहमत नहीं थे कि खिलाड़ी ने ‘जानबूझकर’ डोपिंग रोधी नियमों का उल्लंघन किया।