Sports

जालन्धर : 18वें एशियाई खेलों की कुराश प्रतियोगिता में भारत को सिल्वर मैडल लाकर देने वाली पिंकी बलहारा की जिंदगी में एक के बाद एक इतने दुखद घटनाक्रम हुए है, कि कोई जान लें तो उसके रौंगटे खड़े हो जाएं। दरअसल एशियन गेम्स से ठीक तीन पहले पिंकी के परिवार के तीन सदस्यों की एक-एक कर मौत हो गई। जहां आम इंसान घर में हुई मौतों से अर्से तक टूटा रहता है तो वहीं, पिंकी ने खुद को संभाला और गेम जारी रखते हुए सिल्वर जीता, साथ ही अपने पिता का एक सपना भी पूरा किया। 

दिल्ली के नेब सराय इलाके में रहती 19 साल की पिंकी बलहारा ने कहा कि गेम्स से पहले मेरे जीवन का सबसे कठिन और बुरा दौर आया था। सबसे पहले मैंने अपने चचेरे भाई को खोया। फिर मेरे पिता जी की हार्ट अटैक से मौत हो गई। फिर दादा जी भी नहीं रहे। कम समय में परिवार का सहारा छीनने से मैं टूट सी गई थी। लेकिन ऐसे वक्त में चाचा समुंदर टोकस आगे आए और सहारा दिया। जूडो खिलाड़ी रह चुके टोकस ने पिंकी को उसके लक्ष्य से भटकने नहीं दिया। 

रात में जिम जाना शुरू किया

PunjabKesari
पिंकी ने बताया कि पिता की अंतिम क्रिया के बाद नैशनल के लिए खेलना था। सिर्फ पांच दिन बचे थे। मेरा वजन करीब 58 किलो था जोकि छह किलो तक कम करना था। लोग यह ताने न दें कि पिता के मरने के बाद भी जिम जा रही है, इसलिए छुपके से रात को जिम ज्वाइंन किया। वजन घटनाकर नैशनल के लिए ट्राइल दिया जिसमें वह सिलैक्ट भी हुईं।

देखिए पापा मैंने सिल्वर ही जीता है
PunjabKesari

पिंकी ने पिता से जुड़ी एक याद साझी करते हुए लिखा कि गेम्स से पहले एक दिन पिता जी ने मुझसे पानी का ग्लास मांगा था। मैं कहीं बिजी थी सो उन्हें पानी नहीं दे पाई। पापा पास आए। मजाक में बोले-  तुम अपने पिता की बात नहीं सुनती। देख लेना एशियाड में तुम्हें गोल्ड नहीं सिल्वर मैडल मिलेगा। नम आंखों से पिंकी ने कहा कि पापा ने सच ही कहा था। पापा देखिए मैं सिल्वर ही जीता है।