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जालन्धर : टोक्यो पैरालिम्पिक की शुरूआत बुधवार से हो जाएगी। 13 दिन चलने वाले इस इवैंट में दुनिया भर के 3686 एथलीट हिस्सा लेंगे। जापान सरकार ने तेजी से मैदानों को पैरालिम्पिक के मापदंडों से तैयार कर लिया है। ओलिम्पिक और पैरालिम्पिक में बहुत फर्क होते हैं। दोनों में नियम अलग होते हैं। खिलाड़ियों के रहन-सहन, गेमों में हिस्सा लेने के नियम विभिन्न होते हैं। आइए बताते हैं कि पैरालिम्पिक आखिर ओलिम्पिक से कितना अलग है।

दर्शकों की चुप्पी ही है खिलाडिय़ों के लिए वरदान

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स्विमिंग, एथलैटिक्स और फुटबॉल की दिव्यांग स्पर्धा में दर्शकों की चुप्पी बेहद अहम होती है। खिलाड़ियों की इन खेलों में भागीदारी विभिन्न मैडीकल टैस्ट से गुजरने के बाद होती है। फुटबॉल इवैंट में नेत्रहीन, कम नेत्र क्षमता वाले खिलाडिय़ों की टीम होती है। इसलिए सभी को आंखों पर ‘ब्लाइंड फोल्ड’ पहनाया जाता है।
- फुटबॉल में घुंघरू डाले जाते हैं ताकि सभी खिलाडिय़ों को फुटबॉल की लोकेशन पता लग सके।
- गोलकीपर नेत्रहीन नहीं होता लेकिन उसे अपना एरिया छोडऩे की इजाजत नहीं होती।
- दोनों टीमों में 5-5 प्लेयर होते हैं। मैदान भी आम मैदान से काफी छोटा रखा जाता है।
- खिलाड़ी एक-दूसरे से शब्दों के साथ खेल जारी रखते हैं। अगर खिलाड़ी ‘वोए’ बोलता है तो इसका मतलब है कि गेंद उसके पास है। इससे उनके साथी सतर्क हो जाते हैं। खिलाड़ी अपने साथियों की आवाज पहचान सकें इसलिए दर्शकों को चुप रहने को कहा जाता है।

साथी का सहारा लेकर भागने का नियम

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नेत्रहीन दौड़ाक पैरालिम्पिक में अपने साथी के साथ भागते हैं। इसके लिए दोनों का एक-एक हाथ रस्सी से बांधा जाता है। सहयोगी प्रतिभागी को किस दिशा में दौडऩा है, लाइन से बाहर तो नहीं आदि जैसे निर्देश देता है। नियमों के अनुसार प्रतिभागी अपने सहयोगी की ताकत का इस्तेमाल  नहीं कर सकता। अगर सहयोगी प्रतिभागी से दौड़ में आगे निकल जाए तो फौरन प्रतिभागी को गेम से बाहर कर दिया जाता है। नेत्रहीनों के लिए टी-11 तो कम नेत्रहीनों के लिए टी-12 कैटेगरी होती है।

पैरालिम्पिक में ओलिम्पिक रिंग नहीं होते

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ओलिम्पिक और पैरालिम्पिक में भले ही ‘लिम्पिक’ शब्द जुड़ा है लेकिन यह पूरी तरह से भिन्न इवैंट्स हैं। इसमें ओलिम्पिक के रिंंग इस्तेमाल नहीं होते। इनकी जगह लाल, हरा और नीले रंग के मोटो इस्तेमाल होते हैं। इसे ‘स्पिरिट इन मोशन’ कहा जाता है।

दोनों के आयोजनकत्र्ता है अलग
ओलिम्पिक जहां इंटरनैशनल ओलिम्पिक कमेटी की ओर से करवाया जाता है तो पैरालिम्पिक के लिए इंटरनैशनल पैरालिम्पिक कमेटी बनी हुई है। पहली बार 1960 में पैरालिम्पिक खेल करवाए गए थे। 1968 में मैक्सिको सिटी द्वारा इवैंट्स करवाने से मना करने पर इसे तेल अवीव में करवाया गया। 1988 में सियोल ओलिम्पिक के बाद 2001 में यह फैसला होगा कि जिस शहर में ओलिम्पिक होगा। वहां ही पैराओलिम्पिक होगा।

दो नए गेम टोक्यो पैरालिम्पिक में शामिल
2014 में आखिरकार इंटरनैशनल पैरालिम्पिक कमेटी ने इवैंट में नई गेम को एंट्री देनी शुरू की। इसके तहत बैडमिंटन, पावर हॉकी, पावरचेयर फुटबॉल इवैंट को चुना गया थ। 2015 में आखिरकार आई.पी.सी. ने 2020 इवैंट के लिए बैडमिंटन और ताईक्वांडो को मंजूरी दे दी। इन्हें 7 साइड फुटबॉल और सेलिंग खेलों की जगह लाया गया जोकि अपर्याप्त अंतरराष्ट्रीय पहुंच के कारण बाहर कर दिए गए।

एक्स्ट्रा शॉट : थ्री सी को इग्रोर करना जरूरी

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सभी खिलाड़ी व ऑफिशियल्स को इवैंट के दौरान 3 सी को इग्नोर करना होता है। यानी- क्लोज्ड, क्राऊड प्लेसेस और क्लोज कॉन्टैक्ट विद ऐनीवन। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की भी मनाही है।