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जालंधर (करण सिंह) : अॉस्ट्रेलिया ने विश्व क्रिकेट पर तकरीबन दशक तक लगातार राज किया है। जिसकी शुरुआत 1998-99 में हुई थी। इस टीम ने आईसीसी क्रिकेट वर्ल्डकप में 5 बार विजय पाई है। ऑस्ट्रेलिया 1999 से 2007 तक काफी सफल टीम रही है। जहाँ उन्होंने लगातार 3 बार विश्व ख़िताब अपने नाम किया है। जो एक रिकॉर्ड है। कंगारुओं ने इस दौरान 3 एशियाई टीमों को हराया था। पाकिस्तान, भारत और श्रीलंका को क्रमशः 1999, 2003 और 2007 में हराया था। इनमें से साल 2003 की ऑस्ट्रेलियाई टीम सबसे जबरदस्त टीम थी। 

2003 के वर्ल्ड कप में अॉसट्रेलियाई टीम के सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी को रखा गया था बाहर 

2003 के वर्ल्ड कप में शायद ऑस्ट्रेलिया ही एक ऐसा देश है जो स्टीव वॉ जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी को टीम से बाहर रख सकती थी। 1987 और 1999 में वर्ल्ड कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम की कमान 2003 में स्टीव वॉ की जगह रिकी पॉन्टिंग के हाथों में थी। इस टीम में वनडे क्रिकेट के सबसे धाकड़ बल्लेबाज़ मौजूद थे और इसकी गेंदबाज़ी भी मज़बूत थी। इस टीम को हराना सभी टीमों के लिए टेढ़ी खीर साबित हुअा था।

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अॉस्ट्रेलिया ने 2003 का वर्ल्ड कप जीत कर साबित किया था विश्वक्रिकेट के बादशाह हैं हम  

साल 2003 के वर्ल्डकप में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने बड़े ही गर्व और भावनात्मक अंदाज में ख़िताब पर कब्जा किया था। इस टीम ने  सभी विपक्षी टीमों को बुरी तरह से पछाड़ा था । इस विश्वकप में "मैन इन यैलो"  ने 11 मैच खेले और सभी में जीत हासिल की थी। इस तरह इस टीम ने लगातार दूसरी बार वर्ल्ड कप जीतकर ये साबित किया था कि वह  विश्वक्रिकेट के बादशाह हैं। सेमीफाइनल में श्रीलंका को 48 रन से हराने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने सौरव गांगुली की कप्तानी वाली टीम इंडिया को 125 रन से फाइनल में हराया था।

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2003 के वर्ल्ड कप में जबरदस्त फॉर्म में थे एडम गिलक्रिस्ट 

44 बरस का एडम गिलक्रिस्ट पूर्व ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर बल्लेबाज़ साल 2003 के वर्ल्डकप में जबरदस्त फॉर्म में थे। गिली ने पूरे टूर्नामेंट में 40.83 के औसत से 408 रन बनाए थे। वह इस टूर्नामेंट में चौथे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ थे। साथ ही ऑस्ट्रेलिया के दुसरे बल्लेबाज़, जिन्होंने फाइनल में भारत के खिलाफ 48 गेंदों में 57 रन बनाए थे।

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2003 के वर्ल्ड कप फाइनल में 4 रन बनाकर अाउट हुए थे सचिन 

बल्‍लेबाजी करने आई भारतीय टीम की शुरुआत बहुत खराब रही। टीम ने रनों का पीछा करना शुरू किया लेकिन पहले ही ओवर में ओपनर सचिन तेंदुलकर का विकेट चला गया था। सचिन ने चार रन बनाए और महज पांच गेंदों का सामना किया। इसके बाद धूंआदार बैटिंग करते हुए वीरेंद्र सहवाग ने 81 गेंदों पर 10 चौकों तथा 3 छक्कों की सहायता से 82 रन बना दिए। उनके बाद पिच पर आए खिलाड़ी टीम को संभालने में कामयाब नहीं हुए और नियमित अंतराल पर आउट होते गए। हालाकि बीच में कप्‍तान सौरव गांगुली ने 25 गेंदों में 24 रन और राहुल द्रविड़ ने 57 गेंदों पर 47 रनों की पारी खेल कर अपनी ओर से मैच बचाने का प्रयास किया। आखिरकार भारत की टीम पूरे 50 ओवर भी नहीं खेल सकी और 39.2 ओवर में 234 रनों पर सिमट गई।

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इस तरह ऑस्‍ट्रेलिया को 125 रन की बड़ी जीत हासिल हुई। इस फाइनल मैच में रिकी पोंटिंग को मैन ऑफ़ द मैच चुना गया, हांलाकि पूरे टूर्नामेंट में सर्वाधिक 673 रन बनने वाले भारतीय ओपनर सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ़ द सीरीज़ का सम्‍मान दिया गया।