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नई दिल्ली : नाडा पैनल की बीते दिनों महत्वपूर्ण मीटिंग थी इसमें वीरेंद्र सहवाग के हिस्सा ना लेने पर काफी विवाद हुआ था। अब सहवाग ने आगे आकर इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए साफ कहा कि उन्होंने कभी भी इस समिति का हिस्सा बनने की ख्वाहिश नहीं रखी थी। खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के आग्रह पर पर इस समिति से जुड़े थे। नाडा पैनल में किसी ओलंपियन को रखना चाहिए ना कि किसी किकेटरों को।

सहवाग को नवंबर 2017 में नाडा के डोपिंग रोधी अपीली पैनल (एडीएपी) में शामिल किया गया था लेकिन अभी तक उन्होंने एक भी सुनवाई में हिस्सा नहीं लिया। सहवाग ने कहा- मेरे जैसे व्यक्ति की तुलना में ओलंपियन डोपिंग रोधी संहिता के बारे में ज्यादा जानते हैं। शुरू में मैं पैनल का हिस्सा बनने का इच्छुक नहीं था। मुझे यह स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि मेरी जानकारी सीमित है। वैसे भी मैं शुरू से बीसीसीआई का हिस्सा रहा हूं। आईसीसी टूर्नामैंटों के दौरान ही मेरे डोप टैस्ट हुए हैं। इससे ज्यादा जानकारी मुझे नहीं है। 

सहवाग ने साफ कहा कि एडीएपी की पहली दो सुनवाई के दौरान नाडा ने उन्हें तिथियों के बारे में भी अवगत नहीं कराया था। तीसरी सुनवाई में मैं नहीं जा सका क्योंकि मेरा बेटा अस्वस्थ था।