नई दिल्ली : ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा के कोच क्लॉस बार्टोनिट्ज का मानना है कि इस भाला फेंक खिलाड़ी ने अपनी तकनीक की अधिकांश कमियों को ठीक कर लिया है और अब उनकी कोशिश आने वाले वर्षों में अधिक से अधिक ऊंचाइयों को छूने के लिए तकनीकी ‘स्थिरता' को बनाए रखने की होनी चाहिए। चोपड़ा ने एक सफल सर्जरी के बाद 2019 में बार्टोनिट्ज के साथ काम करना शुरू किया था।
जर्मनी के इस बायो-मैकेनिक्स विशेषज्ञ ने कहा कि इस भारतीय युवा की तकनीक में कोई खामी नहीं है, लेकिन फिर भी उन पर ध्यान देने की जरूरत है। बार्टोनिट्ज ने कहा, ‘मुझे शुरुआत में उनमें दौड़ने की गति, शरीर की सही स्थिति में ‘ब्लाकिंग' (भाले को गति देने में अहम) और एक युवा ताकतवर एथलीट के रूप में थ्रो को ‘जल्दी' फेंकने जैसी कुछ कमियाँ नजर आई थी। उनका फॉलो-थ्रू (भाला फेंकने के बाद शरीर की स्थिति) एक तरफ मुड़ने की जगह सीधा होना चाहिए।'
उन्होंने कहा, ‘मैंने उसे समझाया तब उसने सही तरीके से समझना शुरू कर दिया। इसमें कुछ भी नाटकीय नहीं था। भाला फेंकने का कोण सही होना चाहिए, अगर आप आगे फेंकना चाहते हैं तो आपको हवा की गति को जानने की जरूरत है। हमें सुधार जारी रखने के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।' उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि हमने कुछ सुधार किए हैं। कमियां थीं लेकिन हमने उन्हें दूर कर लिया है।'
यह पूछे जाने पर कि क्या अब कोई तकनीकी खामी नहीं है, बार्टोनिट्ज ने कहा, ‘हमें हर समय तकनीक पर काम करना होगा, इसे जारी रखना होगा और इसे स्थिर बनाना होगा।' उन्होंने कहा, ‘आप प्रशिक्षण के दौरान अच्छा कर सकते हैं लेकिन प्रतियोगिताओं के दौरान मानसिक स्थिति अलग होती है। अगर आप वही काम करना चाहते हैं जो आपने प्रशिक्षण के दौरान किया है, तो आपको (प्रतियोगिता के दौरान) एकाग्रता बनाए रखने के साथ आत्मविश्वास से भरा होना चाहिए।'
जर्मनी के इस कोच ने कहा कि चोपड़ा के बारे में अच्छी बात यह है कि वह एक हरफनमौला एथलीट है क्योंकि वह स्प्रिंट (तेजी से दौड़ना), कूद और अन्य अभ्यासों को अच्छी तरह से कर सकता है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने 2019 में चोपड़ा को अपनी निगरानी में लिया तो उन्हें पता था कि हरियाणा के इस लड़के में दुनिया में शीर्ष भाला फेंकने वाला बनने का गुण है। उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन था, हर कोई निश्चित था क्योंकि कुछ लोग जूनियर स्तर पर बहुत अच्छा करते हैं लेकिन बाद में प्रदर्शन को बरकरार नहीं रख पाते है। उसने (विश्व जूनियर चैंपियन बनने के बाद) हालांकि शानदार तरीके से उसे जारी रखा। इसलिए, सभी को यकीन था कि उसका भविष्य उज्ज्वल है।'
चोपड़ा ओलंपिक के क्वालीफिकेशन में जर्मनी के जोहानेस वेटर से आगे शीर्ष पर रहे। वेटर स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार के रूप में तोक्यो गये थे लेकिन नौवें स्थान पर रहे। बार्टोनिट्ज ने कहा कि चोपड़ा के लिए स्वर्ण जीतना कभी भी एक वास्तविक लक्ष्य नहीं था। उन्होंने कहा, ‘ओलंपिक से पहले दूसरे खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आधार पर रजत या कांस्य जीतने का एक वास्तविक मौका था, लेकिन स्वर्ण नहीं। किसी ने भी स्वर्ण पदक के बारे में नहीं सोचा था।'
चोपड़ा ने क्वालिफिकेशन दौर और फाइनल दोनों में अपने पहले प्रयास में बड़ा थ्रो फेंका था और बार्टोनिट्ज ने कहा कि यह उनकी योजना का एक हिस्सा था। उन्होंने कहा, ‘यह उनकी योजना थी और इसका सही तर्क भी है। आप अपने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों को आश्चर्यचकित करना चाहते हैं और उन्हें दिखाना चाहते हैं कि मैं दावेदार हूं। हर कोई ऐसा करना चाहेगा।' उन्होंने कहा, ‘ आप जानबूझकर अंत तक अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो नहीं बचा सकते। आप नहीं जानते कि आप पहले तीन में रहेंगे या नहीं।'