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नई दिल्लीः भारतीय तैराक संदीप सेजवाल ने कहा कि वह बोरियत और प्रदर्शन में सुधार ना कर पाने के कारण इस खेल को छोडऩे का मन बना रहे थे लेकिन बाद में पछतावा ना हो इसलिए उन्होंने तरणताल में ज्यादा दमखम के साथ उतरने का फैसला किया। सेजवाल ने 2014 एशियाई खेलों में 50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया था जो ऐसा करने वाले नौवें भारतीय बनें। उन्होंने प्रदर्शन में सुधार ना होने पर पिछले साल संन्यास ले लिया था और बच्चों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया था।  सेजवाल ने कहा, ‘‘ मैंने आठ महीने तक तैराकी नहीं की। मैं अपने प्रदर्शन से बोरियत महसूस कर रहा था। इसमें सुधार नहीं हो रहा था, पिछले आठ वर्षों से मैं एक विशेष समय पर फंस सा गया था। मुझे लगा मेरी तैराकी पूरी हो गयी लेकिन कोच निहार (अमीन) सर ने मुझे खुद को एक और मौका देने के लिए तैयार किया।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे लिए एकमात्र प्रेरणा यह थी कि मैं करियर को अच्छे प्रदर्शन के साथ खत्म करना चाहता था। मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ठ होना चाहता था, इसलिए मुझे लगा कि बाद में पछताने से अच्छा है कि एक बार और कोशिश करूं। हमने अपने कार्यक्रम में बदलाव किया और मुझ पर इसका सकारात्मक असर हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि उम्र के साथ वह ज्यादा अनुभवी हुए है और कुछ तकनीकी पहलुओं पर काम कर रहे हैं जिससे उन्हें बेहतर नतीजे मिल सके। उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले चार वर्षों में काफी बदलाव आया हैं, उम्र के कारण मैं रिकवरी पर पूरा ध्यान दे रहा हूं। चार साल पहले मुझे लगता था कि मेरी शुरूआत मेरी सबसे कमजोर कड़ी है लेकिन अब लगता है कि मैं इस विभाग में अच्छा कर रहा हूं।’’          
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उन्होंने कहा, ‘‘ अभी मेरा पूरा ध्यान एशियाई खेलों पर है और इसके प्रदर्शन पर मैं अपने भविष्य का फैसला करूंगा कि इसे जारी रखना है या पेशा बदलना है।’’  उन्होंने हाल ही में सिंगापुर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप मीट में रिकॉर्ड के साथ 50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में स्वर्ण पदक हासिल किया था। दिल्ली के 29 साल के इस खिलाड़ी के लिए यह प्रदर्शन इससे बेहतर समय पर नहीं आ सकता था क्योंकि वह टखने के फ्रैक्चर से उबरने के बाद एशियाई खेलों के लिए तैयारी कर रहे थे। इस चोट कारण उन्हें इस साल की शुरुआत में राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर रहने पर मजबूर होना पड़ा था। सेजवाल ने कहा, ‘‘ फरवरी में मेरा पैर चोटिल हो गया था, रिहैबिलिटेशन के बाद मैंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और अच्छी बात यह है कि मेरा प्रदर्शन बेहतर हो रहा हैं। अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा जीतने से आत्मविश्वास बढ़ता है। मैं पहले से कहीं अधिक प्रेरित हूं।’’