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सिडनी: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 6 दिसंबर से शुरू होने जा रही टेस्ट सीरीज के लिए दोनों टीमें जोरो-शोरो से तैयारियों में जुटी हैं। इस सीरीज में अभी आक्रामकता, स्लेजिंग, जैसे मुद्दों पर भी बयानबाजी काफी पहले से हो रही है। एेसे में अब ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क का एक बयान सामने आया है। 

मैदान पर अच्छा इंसान बने रहने का कोई फायदा नहीं- क्लार्क
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क्लार्क ने वर्तमान टीम को भारत के खिलाफ घरेलू टेस्ट श्रृंखला में ‘आॅस्ट्रेलियाई शैली की कड़ी क्रिकेट खेलने’ की सलाह देते हुए कहा कि मैदान पर अच्छा इंसान बने रहने पर बहुत अधिक जोर देने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। आॅस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों को निर्मम क्रिकेट खेलने के लिए जाना जाता रहा है लेकिन गेंद से छेड़छाड़ मामले के बाद उन्होंने मैदान पर अपनी आक्रामकता को कम किया है। उनके इस रवैये की विश्व कप विजेता कप्तान क्लार्क ने आलोचना की है। 

निर्मम क्रिकेट खेलना ऑस्ट्रेलिया के खून में है
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क्लार्क ने एक वेबसाईट से कहा, ‘मुझे लगता है कि आॅस्ट्रेलियाई क्रिकेट को पसंदीदा बनने की चिंता छोड़ देनी चाहिए। आॅस्ट्रेलियाई शैली की कड़ी क्रिकेट खेलो चाहे कोई पसंद करे या नहीं, यह हमारे खून में है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर आप अपनी इस शैली को छोडऩे की कोशिश करते हो तो हो सकता है कि हम दुनिया की सबसे पसंदीदा टीम बन जाएं लेकिन हम मैच नहीं जीत पाएंगे। खिलाड़ी जीतना चाहते हैं।’

क्लार्क बोले- आक्रामक होने पर अाप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं
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क्लार्क ने इस संदर्भ में निलंबित डेविड वार्नर का उदाहरण दिया जो आक्रामक होने पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह उसकी शैली है। वह आप से आंख से आंख मिलाकर बात करेगा। आपकी सबसे बड़ी ताकत आपकी सबसे बड़ी कमजोरी बन सकती है। मैं हमेशा उसे अपनी टीम में रखना पसंद करूंगा, क्योंकि उसमें वह आक्रामकता है जो मैं चाहता हूं।’ क्लार्क ने कहा, ‘इसके साथ ही मैं यह कहना चाहूंगा कि एक सीमा भी है और वह इसे समझता है। हमारी इस सीमा को लेकर कई बार आपस में बातचीत हुई है और वह उसे नहीं लांघ सकता।’