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स्पोर्ट्स डेस्क: किक्रेट एक ऐसा खेल है, जिसका जुनून लगभग हर व्यक्ति के सिर पर चढ़कर बोलता है। खासकर भारत में तो किक्रेट की दीवानगी लोगों में कुछ ज्यादा ही देखी जाती है, यूं तो इस खेल में भाग लेने वाली हर चीज बहुत महत्वपूर्ण है, किन्तु इसमें प्रयोग होने वाली गेंद उसकी बात ही कुछ और है। इंग्लैंड में ड्यूक गेंद से खेलते हुए 1-4 से सीरीज गंवाने वाली 'टीम इंडिया' को अब ड्यूक गेंद काफी अच्छी लगने लगी है।
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भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने एसजी गेंद की कुछ दिनो पहले अालोचना की थी। जिसके बाद स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और तेज गेंदबाज उमेश यादव को भी एसजी से बेहतर ड्यूक गेंद सही लगने लगी। ऐसे में आइए एक नजर डालते हैं, एसजी-ड्यूक और कूकाबेरा गेंदों के बीच में फर्क।
कूकाबुरा गेंद
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सदियों से किक्रेट के इतिहास में इस्तेमाल हो रही ‘कूकाबूरा’ गेंद वर्तमान समय में एक ब्रांड बन चुकी है, किक्रेट के मैदान में टेस्ट मैच से लेकर टी-20 खेलने के लिए इसका ही प्रयोग किया जाता है। यह गेंदे ऑस्ट्रेलिया में बनती है और इसका इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया के अलावा दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और जिंबाब्वे में होता है। कूकाबुरा में लो सीम होती है और इसमें शुरुआती 20 ओवर्स में अच्छी स्विंग मिलती है, लेकिन इसके बाद यह बल्लेबाजों की मदद करती है। जब इसकी सिलाई खराब हो जाती है तो स्पिनर्स को ग्रिप करने में दिक्कत होती है।
ड्यूक गेंद
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यह गेंदे इंग्लैंड में बनती है और इसका इस्तेमाल इंग्लैंड के अलावा विंडीज में होता है। इस गेंद की सीम शानदार होती है और 50-55 ओवर तक यह बनी रहती है। यह तेज गेंदबाजों को सबसे ज्यादा मददगार गेंद है।
एसजी गेंद
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एसजी गेंद में सीम काफी उभरी हुई होती है। यह गेंदे भारत में बनाई जाती है और इसका प्रयोग टेस्ट मैच में किया जाता है। लेकिन भारतीय परिस्थितियों में 10-20 ओवर तक ही गेंद से स्विंग मिलती है और यह अपनी चमक खो देती है। इसकी सीम 80-90 ओवर्स तक ही रहती है जिससे रिवर्स स्विंग करना आसान होता है व स्पिनर्स को ग्रिप बनाने में मदद मिलती है। सभी एसजी बॉल के साइज में थोड़ा-थोड़ा अंतर होता है