Sports

स्पोर्ट्स डेस्क: आईसीसी क्रिकेट वर्ल्‍ड कप 2019 के शुरू होने में अब बस कुछ दिन ही बचे हैं और दुनियाभर की नजरें इस महाकुंभ पर आ टिकी हैं। वर्ल्ड कप में इस साल लगभग 70 करोड़ की धनराशि विजेताओं को दी जाएगी। जहां विजेता को करीब 28 करोड़ रुपए मिलेंगे, वहीं रनर अप टीम को करीब 14 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। वही विश्व की टाॅप 10 क्रिकेट टीमें अपनी तैयारियों में लग गई है। ऐसे में अगर टीम इंडिया के विश्व कप में भाग लेने और जीतने की बात करें तो इसका इतिहास कुछ इस प्रकार से है। तो आइए आपको  बताते हैं। 

कपिल देव (1983-1987) 

विश्व कप में भारतीय टीम की कप्तानी करने का सम्मान ऑलराउंडर कपिल को मिला था। साल 1983 में हुए विश्व कप में भारत ने अपना पहला खिताब जीता था। कपिल ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रन की नाबाद पारी खेल भारतीय टीम को टूर्नामेंट की सबसे यादगार जीत दिलाई थी। फाइनल में टीम ने दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज पर जीत हासिल कर नया इतिहास रचा था। 

मोहम्मद अजहरुद्दीन (1992-96-99) 

विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में लगातार तीन बार भारतीय टीम की कप्तान करने का मौका मोहम्मद अजहरुद्दीनको मिला था। ऐसा करने वाले वह एक मात्र भारतीय कप्तान हैं। अजहर की कप्तानी में भारत 1992 विश्व कप के पहले दौर से ही बाहर हो गया था जबकि 1996 में टीम सेमीफाइनल तक पहुंचने में कामयाब हुई थी। श्रीलंका से मिली शर्मनाक हार के बाद टीम बाहर हुई थी। कोलकाता में हुए इस मैच में दर्शकों के हंगामे की वजह से मैच बीच में ही रोकना पड़ा था। साल 1999 में तीसरी बार विश्व कप में उतरी भारतीय टीम सुपर सिक्स से आगे नहीं बढ़ पाई थी। 

सौरव गांगुली (2003) 

भारतीय क्रिकेट इतिहास से सफलतम कप्तानों में शुमार सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत ने साल 2003 में फाइनल तक का सफर तय किया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली हार से उससे दूसरी बार विश्व विजेता बनने का सपना टूटा था। 

राहुल द्रविड़ (2007) 

भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 2007 का विश्व कप एक बुरे सपने जैसा था। राहुल द्रविड की कप्तानी में वेस्टइंडीज पहुंची टीम पहले दौर से ही हार कर बाहर हो गई थी। सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, सौरव गांगुली और युवराज सिंह जैसे धुरंधर खिलाड़ियों के होने के बाद भी टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। 

एमएस धोनी (2011-2015) 

कपिल देव के बाद विश्व विजेता बनने के कारनामें को भारतीय टीम साल 2011 में दोबारा अंजाम दिया। कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी के हाथों में थी, टीम ने मुंबई की घरेलू दर्शकों के बीच फाइनल में श्रीलंका पर जीत हासिल कर खिताब अपने नाम किया था। श्रीलंका पर मिली 6 विकेट की जीत में कप्तान धोनी की 91 रन की पारी अहम थी। धोनी ने शानदार छक्का लगाकर भारत को 28 साल बाद विश्व चैंपियन बनाया था।