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नई दिल्ली: 14 मार्च 2001 यह एक एेसा दिन था जो की भारत के लिए एक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भारतीय टिम के लिए इस लिए भी खास माना जाता है क्योंकि कि भारतीय टीम ने उस समय अॉस्ट्रेलियाई टीम का घमंड चूर चूर किया था, जब भारतीय टीम के एेसे खिलाड़ी जो कि सुलझे और हमेशा शांत स्वभाव के माने जाने वाले खिलाड़ीयों में से हैं लगता है अाप समझ ही गए होंगे की हम किन खिलाड़ीयों की बात कर रहे हैं जी हां हम राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की ही बात कर रहे हैं इन दोनों खिलाड़ीयों ने भारतीय टीम को उस समय उपर उठाया जब भारतीय टीम काफी समय से निचे चल रही थी। 
दरअसल साल 2001 में दुनिया भर में अपनी विजय झंड़ा लहराती आ रही अॉस्ट्रेलियाई टीम भारत दौरे पर आई थी। कंगारू टीम जब भारत दौरे पर आई, तो वह लगातार 15 टेस्ट जीत चुकी थी। इस दौरे पर ऑस्ट्रेलिया को भारत के खिलाफ तीन टेस्ट खेलने थे और उसके कप्तान स्टीव वॉ भारत को भारत में हराने का सपना लेकर यहां दाखिल हुए थे।  
 
सीरीज की शुरुआत वैसी ही हुई जैसी सब को उम्मीद थी। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हर विभाग में पीछे छोड़ा। अॉस्ट्रेलिया ने भारत को आसानी से धूल चटा दी। ऑस्ट्रेलिया की अजेय टीम भारत पर खेल के हर लिहाज से भारी पड़ रही थी। दूसरे टेस्ट में दोनों टीमें कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेलने पहुंची।ऑस्ट्रलिया ने टेस्ट मैच की पहली पारी में भारत के सामने 445 रन का पहाड़ सा स्कोर खड़ा कर दिया। इसके जवाब में भारत सिर्फ 171 रन ही बना सका और पहला टेस्ट हारने के बाद उस पर दूसरे टेस्ट की हार और सीरीज गंवाने का भी खतरा आ गया। पहली पारी के आधार पर भारत 274 रन से पिछड़ रहा था। 

स्टीव ने भारत को पारी की हार से हराने के इरादे से फॉलोऑन खेलने को दिया। दूसरी पारी में एक बार फिर भारत ने 115 रन जोड़ते-जोड़ते अपने 3 विकेट गंवा दिए। चौथे विकेट के लिए कप्तान सौरभ गांगुली (48) ने वीवीएस लक्ष्मण के साथ मिलकर 117 रन की साझेदारी जरूर की। लेकिन जब 232 के कुल स्कोर पर गांगुली मैकग्रा की बॉल पर आउट होकर पविलियन लौटे तब भी भारत ऑस्ट्रेलिया के पहली पारी के स्कोर से 42 रन पीछे था और उसे ऑस्ट्रेलिया के सामने जीत के लिए कोई चुनौतीपूर्ण लक्ष्य भी रखना था। 

यहां से राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने जो खेल दिखाया, वह क्रिकेट इतिहास के सबसे यादगार लम्हों में एक है। इन दोनों दिग्गज बल्लेबाजों ने जो खेल दिखाया वह आज इतिहास के सुनहरे पलों में शामिल है। लक्ष्मण और द्रविड़ ने 5वें विकेट के लिए 376 रनों की साझेदारी कर ऑस्ट्रेलिया को बुरी तरह बैकफुट पर ला दिया। इस मैच में वीवीएस लक्ष्मण ने अपने करियर की बेस्ट पारी खेलकर 281 रन बनाए। उस समय लक्ष्मण का यह स्कोर टीम इंडिया के किसी भी बल्लेबाज द्वारा बनाया गया सर्वश्रेष्ठ स्कोर था। वहीं राहुल द्रविड़ ने भी 180 रन की लाजवाब पारी खेली। 
दूसरी पारी में 657 के स्कोर पर जब राहुल द्रविड़ 7वें विकेट के रूप में आउट हुए तब भारत ने अपनी पारी घोषित कर दी। यहां से भारत ने ऑस्ट्रेलिया के सामने चौथी पारी में जीत के लिए 383 रन का लक्ष्य रखकर उसे बुरी तरह झकझोर दिया। इस टेस्ट में ऑस्ट्रेलियाई टीम जो एक समय भारत पर हावी थी। टेस्ट की अंतिम पारी में उसने भारत के सामने 212 रन पर घुटने टेक दिए। इस तरह कंगारू टीम 171 रन से यह टेस्ट मैच हार गई। 

भारत ने बेहतरीन अंदाज में इस टेस्ट को बचाने के साथ-साथ सीरीज को भी बचा लिया। इस टेस्ट की हार के साथ ऑस्ट्रेलिया लगातार 16 टेस्ट जीतने का सफर भारत ने यहां खत्म किया और इसके बाद चेन्नै टेस्ट जीतकर भारत ने यह सीरीज भी अपने नाम कर ली। ऑस्ट्रेलिया को इस ऐतिहासिक टेस्ट में भारत की चमत्कारिक जीत और अपनी हार का आज भी मलाल है।