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नई दिल्ली : रंगभेद दौर के साक्षी रहे अश्वेत अफ्रीकियों के जख्म भले ही नासूर बन चुके हों लेकिन कागिसो रबाडा खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि वह इसके बाद के दौर में पैदा हुए हालांकि उनके माता-पिता ने काफी संघर्ष किया। रबाडा के पिता एमफो डाक्टर थे और मां भी नौकरीपेशा थी। 

रबाडा ने कहा- मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे मौके मिले और मैं अपनी प्रतिभा दिखा सका। कई बच्चों को उस तरह का सहयोग नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि मेरे माता पिता ने मेरे लिए काफी कुछ किया। रंगभेद के दौर में उनके लिए यह आसान नहीं था। उन्होंने कहा- अब मेरे पास समाज के लिए कुछ करने का मौका है। मेरा फाउंडेशन अच्छा काम कर रहा है। यह क्रिकेट के लिए है लेकिन दूसरे खेलों और शिक्षा के क्षेत्र में भी भविष्य में काम करेगा।

भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह से तुलना के सवाल पर उन्होंने कहा- यह मेरे लिए बड़ी बात है। मुझे नहीं पता कि कौन सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि इस समय हर टीम के पास अच्छे तेज गेंदबाज है। यही वजह है कि मुझे लगता है कि इंग्लैंड में विश्व कप रोचक होगा।