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जालन्धर : टीम इंडिया जब भी फास्ट पिचों के लिए जाने जाते देशों में खराब प्रदर्शन करती है तो सबसे पहले धवन को ही टीम इंडिया से बाहर किया जाता है। 2014 के बाद इंगलैंड, ऑस्ट्रेलिया और साऊथ अफ्रीका के आंकड़ें देखें तो कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है। 2014 में जब भारतीय टीम ने इंगलैंड का दौरा किया था। तब धवन पांच टैस्ट मैचों की सीरीज में पहले तीन मैचों में सिर्फ 20 की औसत से ही रन बना पाए थे। इसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। 2014-15 में टीम इंडिया जब ऑस्ट्रेलिया गई तो पहले तीन टैस्ट में 27 की औसत से रन बनाने वाले धवन को आखिरी और महत्वपूर्ण टैस्ट में नहीं खिलाया गया।

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अभी जनवरी में साऊथ अफ्रीका के दौरे पर गई टीम इंडिया में से धवन को पहले टैैस्ट में महज 16 की औसत से रन बनाने के कारण बाकी दो टैस्ट से बाहर कर दिया गया था। आंकड़ें साफ है कि जब भी धवन को चलती सीरीज से टीम से बाहर किया जाता है तो उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया जाता। वैसे भी टीम इंडिया के पास ओपनर्स की कमी नहीं है। ऐसे में अगर पुजारा या केएल राहुल चल गए तो धवन को टीम इंडिया में दोबारा स्थान बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।

धवन को बाहर निकालने पर गावस्कर भी निकाल चुके हैं भड़ास

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उधर, एक बार फिर से धवन को प्लेइंग इलेवन से बाहर निकालने पर दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। गावस्कर ने कहा कि पिछले मैच में मुरली विजय से तो ज्यादा रन शिखर धवन के बल्ले से निकले थे। ऐसे में उन्हें टैस्ट टीम से बाहर कर बलि का बकरा बनाया जा रहा है। गावस्कर ने कहा कि जब भी टीम इंडिया का ऊपरी क्रम असफल होता है, इसका पहला जिम्मेदार धवन को मानकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। उन्होंने कहा- हालांकि धवन की जगह प्रमोट किए गए केएल राहुल अच्छे बल्लेबाज है लेकिन उनका भी बल्ला अब तक इस दौरे पर खामोश ही रहा है।