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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट से भारत के पूर्व तेज गेंदबाज श्रीसंथ को राहत मिलती दिख रही है। दरअसल केरल हाईकोर्ट ने स्पॉट फिक्सिंग मामले में श्रीसंत को आरोपी पाकर उन्हें आजीवन क्रिकेट से दूर रहने की सजा सुनाई थी। इस फैसले के विरोध में श्रीसंत ने निचली अदालत के बाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने भी जब श्रीसंत को राहत न दी तो वह सुप्रीम कोर्ट चले गए। अब सुप्रीम कोर्ट के जज ने श्रीसंत का पक्ष सुनने के बाद आदेश जारी किए हैं कि यह मामला जुलाई के अंत तक सुलझाया जाए। 

श्रीसंत बोले- मैंने बीसीसीआई के विरोध में बयान नहीं दिया
श्रीसंत ने इस दौरान यह भी कहा कि उन्होंने कभी बीसीसीआई की भ्रष्टाचार निरोधी सुरक्षा इकाई के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि पूरे प्रकरण में 13 आरोपी शामिल थे। ऐसे में केवल उनसे ही अपराधियों जैसे बर्ताव क्यों किया जा रहा है। मैंने कभी बाकी आरोपियों के नाम उजागर करने को नहीं कहा। लेकिन मैं यह बताना चाहता हूं कि इस दौरान बुरे दौर से केवल मैं ही गुजरा हूं। श्रीसंत ने कहा- वे अब तक चुप थे। लेकिन अब अपनी दिल की बात सामने जरूर रखेंगे। यह शुरूआत है। आगे कई खुलासे होंगे।

दरअसल श्रीसंत ने इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में खेलने की अनुमति मांगी है। उनका कहना है कि बीते चार साल से वह प्रतिबंध का दंश झेल रहेे हैं। इसलिए उन्हें राहत दी जाए। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने श्रीसंत और दो अन्य खिलाडिय़ों अजित चंदीला तथा अंकित चव्हाण को 2013 में आईपीएल के दौरान स्पाट फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। केरल उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पिछले साल अगस्त में श्रीसंत पर लगा आजीवन प्रतिबंध हटा लिया था लेकिन हाईकोर्ट ने क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड की अपील पर श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध फिर से बहाल कर दिया था।