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नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा ): आईपीएल के मैच के दौरान नॉन स्ट्राइकिंग एन्ड पर खड़े बल्लेबाज जोस बटलर को रन आउट करने के बाद से विवाद मुखर है। राजस्थान रॉयल के साथ मैच के दौरान पंजाब के कप्तान आश्विन ने जोस बटलर को इस विधि से आउट किया था।  जोस को आउट करार दिए जाने के बाद खेल बदल गया और पंजाब ने बाजी मार ली। लेकिन सोशल मीडिया पर और कुछ क्रिकेट हलकों में भी इसे लेकर विवाद शुरू हो गया। इस कदम को खेल भावना के विरुद्ध बताया जाने लगा। जबकि इस तरह से आउट करने का न सिर्फ नियम है बल्कि दिलचस्प ढंग से यह नियम भारतीय क्रिकेटर  के ही नाम से है।  

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वीनू मांकड़ ने की थी शुरुआत 
यह 13 दिसंबर 1947 की बात है। भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में थी। इस सीरीज में में क्रिकेटर वीनू मांकड़ ने गजब का काम किया था। उन्होंने अभ्यास मैच के दौरान बिल ब्राउन को उस समय आउट किया जब मांकड़ गेंद करने आ रहे थे और ब्राउन ने नॉन स्ट्राइकिंग एन्ड पर क्रीज छोड़ दी। मांकड़ ने उन्हें ऐसा न करने की चेतावनी भी दी थी। अगले ओवर में जब ब्राउन ने फिर वही किया तो मांकड़  ने गेंद नहीं फेंकी और गिल्लियां बिखेर  ब्राउन के आउट होने की अपील की। अंपायर ने उनकी अपील मान ली और  ब्राउन रन आउट करार दिए गए। उसके बाद अगले ही हफ्ते सिडनी टेस्ट में 13 दिसंबर को बॉल फेंकते वक्त बिल ब्राउन को उन्होंने फिर ऐसा करके रन आउट कर दिया।

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मांकड़ गेंद फेंकने जा रहे थे और ब्राउन बार-बार गेंद फेंके जाने से पहले ही रन लेने के लिए निकल रहे थे। मांकड़ ने उन्हें रन आउट कर दिया। हालांकि सिडनी टेस्ट में मांकड़ ने कोई वॉर्निंग नहीं दी। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया का मीडिया  बौखला गया. वीनू मांकड़ को जमकर निशाने पर ले लिया गया। लेकिन सारा विवाद उस समय शांत हो गया जब  ऑस्ट्रेलिया के कप्तान डॉन ब्रैडमैन ने ही मांकड़ का पक्ष ले लिया। उसी दौरान वीनू मांकड़ से जोड़कर ऑस्ट्रेलिया की प्रेस ने  इस घटना को मांकडिंग का नाम दिया। इसके बाद इसे बाकायदा आईसीसी की नियमावली में दर्ज किया गया और आज भी नियम 42 में इसका उल्लेख है।  

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कई बल्लेबाज हुए शिकार 
मांकडिंग नियम का कई बल्लेबाज शिकार हुए हैं। अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में टेस्ट में 4 ,एकदिवसीय में चार और  टी-20  में एक बल्लेबाज इस नियम का शिकार बन चुका है। दिलचस्प ढंग से जोस बटलर ही दूसरी बार ऐसे आउट हुए हैं। चार साल पहले श्रीलंकाई गेंदबाज़ सचित्र सेनानायके ने उन्हें इसी तरह आउट किया था। तीन जून 2014 को एडबस्टन में खेले गए एक मैच के श्रीलंका के सचित्र सेनानायके ने बटलर को मांकडिंग का शिकार बनाने से पहले बाकायदा चेताया भी था। भारत के विश्व विजेता कप्तान कपिल देव भी इस अस्त्र का प्रयोग कर चुके हैं। कपिल ने  तीन दिसंबर 1992 को पोर्ट एलिजाबेथ में वनडे मैच के दौरान पीटर क्रस्टन को इसी तरह आउट किया था। हालांकि उन्होंने भी इससे पहले क्रस्टन को चेतावनी दी थी। और तो और अश्विन भी पहले ऐसा कर चुके है अश्विन ने श्रीलंका के लाहिरू तिरिमन्ने को इसी तरह आउट किया था।  ब्रिसबेन में कामनवेल्थ बैंक सीरिज के एक मैच के दौरान 21 फरवरी 2012 को अश्विन ने दूसरे छोर पर खड़े लाहिरु तिरिमन्ने को मांकडिंग आउट किया था। हालांकि उस समय कार्यवाहक कप्तान वीरेंद्र सहवाग ने तिरिमन्ने के खिलाफ अपील वापिस लेने का फैसला किया था। वर्ष 2016 के अंडर 19 विशवकप में वेस्ट इंडीज ने जिम्बाव्बे के बल्लेबाज को ऐसे ही चलता किया था। आखिरी ओवर में हुए इस आउट ने वेस्ट इंडीज की झोली में कप डाल दिया था ।

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अब बरती जाती है यह एहतियात 
समय के साथ साथ जब इस नियम पर विवाद उभरे तो एक नैतिक कदम के तहत इसपर फील्डिंग टीम को पुनर्विचार को कहा जाने लगा। यह भी देखा गया की इस तरह के मामलों में गेंदबाज पहले से बल्लेबाज को चेतावनी देते हैं। हालांकि नियमानुसार ऐसा करने की बाध्यता नहीं है। जब भी ऐसी अपील होती है अम्पायर बार बार सम्बंधित टीम को पुनर्विचार की सलाह देते हैं. उसके बाद भी अगर टीम चाहती है तो फैसला सुना दिया जाता है।