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गोल्ड कोस्टः भारतीय लिफ्टर्स ने21 वें राष्ट्रमंडल खेलों के पहले दिन आज यहां दो पदक जीते लेकिन व्यवस्था ने एक बार फिर उन्हें निराश ही किया । मीराबाई चानू(48 किग्रा) ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्नैच, क्लीन एवं जर्क और ओवरऑल रिकार्ड के साथ स्वर्ण जीता जबकि पी गुरूराजा(56 किग्रा) ने पुरूष वर्ग में रजत अपने नाम किया। इन दोनों खिलाडिय़ों के पदक का रंग भले ही अलग- अलग हो लेकिन दोनों में एक समानता यह है कि उनकी जिंदगी के सबसे अहम दिनों में से एक में उनके दर्द और चोटों का ख्याल रखने के लिए कोई फिजियो साथ नहीं था। 

फिजियो के लिए मांगी थी अनुमति 
रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन के बाद चानू ने कहा, ‘‘ मेरे साथ यहां प्रतियोगिता के लिए कोई फिजियो नहीं था। उन्हें यहां आने की अनुमति नहीं मिली, प्रतियोगिता में आने से पहले मुझे पर्याप्त उपचार नहीं मिला। यहां कोई नहीं था, हमने अधिकारियों से इसके बारे में कहा लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘ मैंने अपने फिजियो के लिए अनुमति मांगी थी लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई, हम एक दूसरे की मदद कर रहे थे।’’ कर्नाटक के गुरूराजा ने कहा, ‘‘ मुझे कई जगह चोट लगी है। मेरा फिजियो मेरे साथ नहीं है, इस लिए मैं घुटने और सायटिक नस का इलाज नहीं करा पाया।’’       

इस मामले में बार बार संपर्क किए जाने के बाद भी भारतीय मिशन प्रमुख विक्रम सिसोदिया से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी लेकिन भारतीय ओलंपिक संघ( आईओए) के अध्यक्ष राजीव मेहता ने कहा कि आईओए ने उन अधिकारियों के नाम की स्वीकृति दी जिसे भारतीय लिफ्टर्स संघ( आईडब्ल्यूएफ) ने मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘ देर से अनुरोध आने के बाद भी हमने फिजियो को बी वर्ग की मान्यता दी है, जिससे वह एथलीटों से मिल सकते हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा के दौरान उनके साथ नहीं रह सकते। यह आईडब्ल्यूएफ की जिम्मेदारी थी कि वह जरूरी सहयोगी स्टाफ के बारे में बताए।’’ इन खेलों से पहले भारतीय दल की संख्या एक बड़ा मसला था, जिसके बाद खेल मंत्रालय ने आदेश दिया कि अधिकारियों की संख्या खिलाडिय़ों के संख्या की 33 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इस वजह से कई खिलाडिय़ों ने उनके मनचाहे सहयोगी स्टाफ को आधिकारिक दल का हिस्सा नहीं बनाए जाने पर शिकायत भी की ।