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नई दिल्ली : भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) ने भारतीय फुटबॉल टीम को जकार्ता में अगस्त में होने वाले एशियाई खेलों में भाग लेने से रोक दिया है और अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ ने आईओए के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण तथा खेल के लिए आघात बताया है। अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने एक बयान में कहा- हमने आईओए को लगातार यह बात समझाने की कोशिश की कि फुटबॉल एक वैश्विक खेल है और इसे एक अलग नजरिये से देखने की जरूरत है लेकिन आईओए अपने रूख पर अड़ा हुआ है कि फुटबॉल टीम को एशियाड में नहीं भेजना है।

एआईएफएफ ने कहा- भारतीय फुटबॉल ने पिछले तीन साल में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उसने फीफा रैंकिंग में 173 वें स्थान से मौजूदा 97 वें स्थान तक छलांग लगाई है, 2019 में होने वाले एशिया कप के लिए क्वालीफाई किया है, अंडर 17 विश्व कप की सफल मेजबानी की है और विभिन्न ग्रास रुट तथा विकास कार्यक्रम चलाये हैं, इन सबके बावजूद आईओए ने भारतीय फुटबॉल टीम को आगामी एशियाड के लिए अनुमति नहीं देने का फैसला किया है।

एआईएफएफ के अध्यक्ष प्रफुल पटेल ने इस सन्दर्भ में आईओए के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र ध्रुव बत्रा को कई बार फोन कर वस्तुस्थिति बताने की कोशिश की और आईओए के महासचिव राजीव मेहता तथा एशियाई खेलों की तैयारी समिति के अध्यक्ष ललित भनोट को पत्र भी भेजे लेकिन किसी के कानों में जूं तक नहीं रेंगी।

एआईएफएफ ने कहा- तमाम तथ्य रख देने के बावजूद आईओए एक से आठ रैंकिंग तक की टीमों को ही भेजने के अपने रुख पर अड़ा हुआ है और उसने एशियाई खेलों के लिए भारतीय फुटबाल टीम को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है। फुटबॉल महासंघ ने कहा- इस बात से साफ है कि आईओए के पास विजन की कमी है और वह इस बात को नहीं समझ रहा है कि फुटबॉल एक वैश्विक खेल है जो 212 देशों में खेला जाता है और एशिया से शीर्ष पांच टीमें फीफा विश्व कप में हिस्सा लेती हैं जहां खेल का स्तर एशियाई खेलों से काफी ऊंचा होता है।

एआईएफएफ ने कहा- एशिया का प्रमुख टूर्नामेंट एशिया कप है जहां भारत ने आठ साल बाद क्वालीफाई किया है। आईओए का यह दृष्टिकोण पूरी तरह खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण के रूख के खिलाफ है जो भारतीय फुटबॉल का समर्थन करते हैं और उन्होंने पिछले तीन वर्षों में एआईएफएफ के प्रयासों को मान्यता दी है।

फुटबॉल महासंघ ने साथ ही कहा- यह बड़े दु:ख की बात है कि आईओए देश में हर खेल की निर्दिष्ट जरूरत को समझ नहीं पा रहा है। यह और भी दुखद है कि आईओए ने इस बारे में आईएफएफ से एक बार भी बात करने की जरूरत नहीं समझी।