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गोल्ड कोस्टः भारत के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के असाधारण प्रदर्शन का आकर्षण टीम स्पर्धा का ऐतिहासिक स्वर्ण पदक रहा लेकिन उन्होंने मैचों के कार्यकम की आलोचना की। उनका मानना है कि खराब कार्यक्रम ने उन्हें और अधिक पदक जीतने से वंचित किया। भारत के बैडमिंटन खिलाडिय़ों ने राष्ट्रमंडल खेलों में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और इस दौरान टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक भी जीता। भारत ने महिला एकल में स्वर्ण और रजत पदक जीतने के अलावा पुरुष एकल और युगल में रजत तथा महिला युगल में कांस्य पदक भी जीता।  

यह टूर्नामेंट अश्विनी का रहा
गोपीचंद ने भारत का अभियान समाप्त होने के बाद कहा, ‘‘कुल मिलाकर अगर आप हमारा प्रदर्शन देखें तो यहां जिस तरह चीजें हुई उससे मैं काफी खुश हूं। टीम स्वर्ण पदक आकर्षण रहा। मिश्रित टीम स्पर्धा में मलेशिया को हराना शानदार रहा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी नजर में यह टूर्नामेंट अश्विनी का रहा। सात्विक और अश्विनी पदक जीत सकते थे। टीम चैंपियन में उनकी जीत के साथ भारत की 1-0 की बढ़त महत्वपूर्ण थी और इस बीच श्रीकांत को ली चोंग वेई को हराने का आत्मविश्वास दिया। मुझे लगता है कि यह बड़ी जीत थी। मलेशिया के खिलाफ जीत के लिए उन्हें काफी श्रेय जाता है।’’      

कार्यकम थोड़ा अनुकूल होता तो आैर पदक जीतते
भारतीय खिलाडिय़ों विशेषकर युगल जोडिय़ों को खराब कार्यक्रम के कारण एक ही दिन में एक से अधिक मैच खेलना पड़ा और गोपीचंद इससे खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सिर्फ यही कहूंगा कि अगर हम भाग्यशाली होते, अगर कार्यकम थोड़ा अनुकूल होता तो हम और पदक जीत सकते थे। एचएस प्रणय दो करीबी मैच हारा, पहले ली चोंग वेई से और फिर राजीव ओसेफ से और वह इनमें से एक जीत सकता था। मिश्रित युगल में अश्विनी और सात्विक का मुकाबला करीबी था जिसमें हम एक और पदक जीत सकते थे।’’ गोपीचंद ने कहा, ‘‘साइना-सिंधू फाइनल शानदार था। श्रीकांत का रजत पदक और सात्विक-चिराग तथा सिक्की-अश्विनी का पदक भी बेहतरीन था। यह आलराउंड प्रदर्शन था।’’