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जालन्धर : पर्थ की तेज पिच को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई भारतीय टीम ने सीरीज के दूसरे टेस्ट में अपने चार नियमित तेज गेंदबाजों को प्लेइंग इलेवन में जगह दी है। पिछले 26 साल के इतिहास में यह महज चौथा मौका है जब भारतीय टीम ने प्लेइंग इलेवन में किसी स्पेशलिस्ट स्पिनर को जगह नहीं दी। पिच को देखते हुए सबसे पहले भारतीय टीम प्रबंधन ने 1992 में पहली बार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एमसीजी की पिच पर चार तेज गेंदबाज निकाले थे। इसके बाद 2012 में वाका के मैदान पर फिर चार तेज गेंदबाज हुए। इस साल दूसरी बार भारतीय टीम ने यह फैसला लिया है। इससे पहले 2018 की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी भारतीय टीम ने सिर्फ तेज गेंदबाजों को मौका दिया था। बता दें कि स्पिनर्स को बाहर कर तेज गेंदबाज खिलाने का फार्मूला भारत के लिए पूरा लाभ नहीं लेकर आया है। इस दौरान खेले गए तीन टेस्ट (पर्थ टेस्ट छोड़कर) में भारत को एक जीत, एक हार और एक ड्रा से संतोष करना पड़ा है।

1992 में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एससीजी के मैदान पर टेस्ट खेला था। इसमें भारत की ओर से चार तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ, सुब्रतो बैनर्जी, कपिल देव, मनोज प्रभाकर खेले थे। उक्त मैच ड्रा छूटा था। इसमें तेज गेंदबाजों ने 16 विकेट निकाले थे।

In Last 26 year indian team only played 4 test without specialist spinner

2012 में भारतीय टीम ने वाका के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के ही खिलाफ अपने चार तेज गेंदबाजों ईशांत शर्मा, जहीर खान, उमेश शर्मा, विनय कुमार पर भरोसा जताया था। भारतीय बल्लेबाज दोनों पारियों में जल्दी ढेरी हो जाने के कारण भारतीय गेंदबाज एक ही पारी में गेंदबाजी कर पाए थे। बड़ी बात यह थी कि एक पारी में 9 विकेट तेज गेंदबाजों के नाम रही थी। भारत यह टेस्ट पारी और 37 रनों से हारा था।

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2018 की शुरुआत में भारत ने जोहानिसबर्ग की तेज पिच को देखते हुए ईशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और हार्दिक पांड्या जैसे तेज गेंदबाजों को मौका दिया था। भारतीय तेज गेंदबाजों ने मैच दौरान पूरे 20 विकेट झटके थे। इस तरह भारत ने यह मैच 63 रनों से जीता था।

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2018 में एक बार फिर से भारतीय टीम पर्थ के मैदान पर बिना स्पिनर के उतरी हैं। मैच दौरान सारी नजरें ईशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और उमेश यादव की गेंदबाजी पर टिकी रही।