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मेलबर्न : एशेज सीरीज में पहले दो टेस्ट में इंग्लैंड को करारी शिकस्त मिलने के बावजूद उसके आलोचनाओं में घिरे मुख्य कोच क्रिस सिल्वरवुड ने अपनी टीम के चयन का बचाव किया और जोर दिया कि वह अब भी इस पद के लिए सही व्यक्ति हैं। इंग्लैंड को ब्रिसबेन में 9 विकेट और एडीलेड में 275 रन से हार का सामना करना पड़ा जिससे टीम चयन की कड़ी आलोचना हुई। 

मेहमान टीम ने ब्रिसबेन की हरी पिच पर जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड की अनुभवी जोड़ी को नहीं खिलाने का फैसला किया जबकि स्पिनर जैक लीच को शामिल किया। बाएं हाथ के स्पिनर का प्रदर्शन खराब रहा जिसमें उन्होंने 13 ओवर में 102 रन देकर एक विकेट झटका और दूसरे टेस्ट में उन्हें बाहर कर दिया गया। इससे इंग्लैंड को स्पिन के लिए एडीलेड ओवल में रूट, डेविड मलान और ओली रॉबिन्सन पर निर्भर रहना पड़ा। सिल्वरवुड इंग्लैंड के मुख्य चयनकर्ता भी हैं। 

सिल्वरवुड से जब पूछा कि क्या वह यही टीम चुनेंगे? तो उन्होंने जवाब दिया, ‘ईमानदारी से कहूं, तो मैं ऐसा करूंगा।' उन्होंने कहा, ‘इसमें हमेशा विभाजित राय होंगी। आप एक टीम को चुनते हो और जरूरी नहीं है कि आपसे सभी सहमत हो जाएं लेकिन मैं गुलाबी गेंद के टेस्ट में हमारे कौशल से खुश हूं इसलिए मैं फिर से इसी टीम को चुनूंगा।' तीसरा टेस्ट मेलबर्न में ‘बॉक्सिंग डे' को शुरू होगा और टीम की रवानगी से पहले सिल्वरवुड ने मंगलवार को अपना रूख दोहराया। 

उन्होंने कहा, ‘हमने उन परिस्थितियों के लिए सर्वश्रेष्ठ आक्रमण चुना और आप हमारे आक्रमण को देख सकते हो कि इसमें काफी अनुभव था। मैं इस मैच में उस आक्रमण से खुश था और मैं पिछले मैच में भी अपने आक्रमण से खुश था।' सिल्वरवुड के मार्गदर्शन में इंग्लैंड ने पिछले 11 टेस्ट में नौ मैच गंवाए हैं और केवल एक ही जीता है। कई पूर्व खिलाड़ियों का मानना हे कि उन्हें दो हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इन पूर्व खिलाड़ियों में पूर्व कप्तान माइकल आथरटन भी शामिल हैं। 

सिल्वरवुड ने कहा, ‘‘क्या मैं खिलाड़ियों की बेहतर होने में मदद के लिए सही व्यक्ति हूं? हां, मेरा मानना है कि मैं हूं। हमारी कुछ बातचीत हुई और मेरा मानना है कि ऐसा करने के लिये मेरे साथ सही कोचिंग स्टाफ है।' उन्होंने कहा, ‘जब आप इस तरह का पद संभालते हो तो आप स्वीकार करते हो कि आपका काम क्या है। ऐसा ही है। क्या मुझे लगता है कि मैं इसके लिये सही व्यक्ति हूं? हां, मैं मानता हूं, वर्ना पहली बात तो मैं इस पद को लेता ही नहीं। आप हमेशा दबाव में होते, क्या ऐसा नहीं है?'