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नई दिल्ली : भारत के पूर्व हाकी कोच हरेंद्र सिंह के लिए ‘हाकी में कुछ नहीं बचा’ है और अब वह फुटबाल से जुडऩे की योजना बना रहे हैं क्योंकि वह इस ‘खूबसूरत खेल’ को अपने ‘पहले प्यार’ के काफी समान मानते हैं। विश्व कप में भारत के प्रभावहीन प्रदर्शन के बाद पिछले महीने इस अनुभवी कोच को पुरुष टीम के कोच पद से हटा दिया गया था। उन्हें जूनियर टीम से जुडऩे को कहा गया लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। हरेंद्र ने कहा, ‘हाकी हमेशा मेरा पहला प्यार रहेगा। मैं आज जो कुछ भी हूं हाकी के कारण हूं। लेकिन अब मेरे लिये हाकी में कुछ नहीं बचा है इसलिए मैंने अपनी जानकारी में इजाफा करने का फैसला किया और मेरे दूसरे प्यार फुटबाल से बेहतर क्या हो सकता है।’

पचास साल के हरेंद्र ने कहा कि वह फुटबाल के बड़े प्रशंसक हैं और स्पेनिश फुटबाल के छोटे पास देने की ‘टिकी टाका’ शैली को काफी पसंद करते हैं। उनका कहना है कि यह शैली भारतीय हाकी टीम की रणनीति से काफी मिलती जुलती है। उन्होंने कहा, ‘मैं फुटबाल का बड़ा प्रशंसक हूं। मैं आर्सेनल और मैनचेस्टर यूनाईटेड (इंग्लिश प्रीमियर लीग) के प्रदर्शन पर करीबी नजर रखता हूं। स्पेन मेरी पसंदीदा अंतरराष्ट्रीय टीम है क्योंकि उनकी छोटे पास की शैली भारतीय हाकी के काफी करीब है।’ जूनियर हाकी विश्व कप विजेता कोच हरेंद्र पहले ही अपनी नई योजना में मदद के लिए दिल्ली साकर संघ के अध्यक्ष शाजी प्रभाकरन से संपर्क कर चुके हैं। 

उन्होंने कहा, ‘हाकी और फुटबाल की कोचिंग काफी समान है और मुझे लगता है कि यह आदर्श है कि हाकी और फुटबाल कोच अपनी जानकारी साझा करें। मैं इस ब्रेक का इस्तेमाल फुटबाल में अपने कोचिंग कौशल के विकास के लिए करना चाहता हूं।’ हरेंद्र ने हाकी कोच से फुटबाल मैनेजर बने बर्नहार्ड पीटर्स, दिग्गज रिक चाल्र्सवर्थ और रोलैंट ओल्टमैंस के उदाहरण दिए जिन्होंने एक से अधिक खेल में हाथ आजमाए।