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नई दिल्ली : शीर्ष भारतीय तैराक साजन प्रकाश और श्रीहरि नटराज का प्रदर्शन टोक्यो ओलंपिक में भले ही निराशाजनक रहा लेकिन दोनों का मानना है कि उन्हें जो अनुभव मिला उससे उन्हें भविष्य की प्रतियोगिताओं में मदद मिलेगी। दोनों की निगाहें अब अगले साल होने वाले राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेलों में पदक जीतने पर लगी हैं। प्रकाश 26 जून को रोम में क्वालीफाइंग प्रतियोगिता में ‘ए' मानक हासिल कर ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय तैराक बने थे और उन्होंने देश के तैराकी इतिहास में नया अध्याय लिख दिया था।

एक दिन बाद ही नटराज ने इस उपलब्धि को दोहराते हुए टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। दोनों तैराकों ने अपनी स्पर्धाओं में ए मानक हासिल किया। हालांकि वे तोक्यो में अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं सके और सेमीफाइनल्स के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहे। नटराज 100 मीटर बैकस्ट्रोक में 54.31 सेकेंड के समय से कुल 27वें स्थान पर रहे जबकि प्रकाश 200 मीटर बटरफ्लाई में 38 तैराकों में 24वें स्थान पर रहे थे। प्रकाश ने पीटीआई से कहा, ‘‘इटली के बाद ओलंपिक में स्पर्धा के लिये मेरे पास काफी समय नहीं था। हमारे पास फिर से शुरूआत करने के लिये केवल तीन हफ्ते थे। अगर मेरे पास तीन महीने होते तो मैं थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करता। 

उन्होंने कहा कि मैं पहले ही क्वालीफिकेशन प्रतियोगिता के लिये टेपरिंग (मतलब ट्रेनिंग कम करके आराम करना ताकि महत्वपूर्ण प्रतियोगिता में शरीर सर्वश्रेष्ठ समय निकालने के लिये तैयार हो सके) कर चुका था और फिर मुझे फिर वापस आकर वही तैयारियां करनी पड़ी और फिर प्रतिस्पर्धा के दिन तक इन्हें कम करना पड़ा। इसके लिये कम से कम छह हफ्तों का समय चाहिए होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों अपने प्रदर्शन से संतुष्ट थे, विशेषकर नटराज। बेंगलुरू के तैराक ने अगर अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ किया होता तो वह सेमीफाइनल तक पहुंच सकता था। नटराज ने कहा कि यह निराशजानक था लेकिन मुझे याद है कि मैं रेस के बाद इतना थक गया था कि मैं खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। मुझे चलने में भी परेशानी हो रही थी। बहुत दर्द हो रहा था।