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नई दिल्ली : भारतीय खेलों के लिए नया साल 2020 बहुत महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है और भारतीय खेलों को अपनी दिशा तय करने के लिए नये साल में होने जा रहे टोक्यो ओलंपिक में अपने इतिहास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। साल 2020 में भारतीय खेलों के लिए टोक्यो ओलंपिक के बाद ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी में होने वाला 20-20 विश्वकप भी खासा महत्वपूर्ण होगा। नया साल कई ओलंपिक पदक विजेताओं के भाग्य को तय करेगा और नए सितारों का इस साल उदय भी होगा।

भारत ने 2016 के पिछले रियो ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन किया था और एक रजत और एक कांस्य के रूप में मात्र 2 पदक जीते थे। रियो के इस प्रदर्शन के बाद सरकार ने तत्काल कदम उठाते हुए अगले तीन ओलंपिक के लिए तुरंत योजना बनाने के निर्देश दिए थे ताकि 2028 के ओलंपिक तक भारत अपने प्रदर्शन को नई ऊंचाइयों पर ले जा सके। भारत की यह भी कोशिश है कि वह 2032 के ओलंपिक की मेजबानी हासिल करे। लेकिन इससे पहले उसे अपने प्रदर्शन को विश्व स्तर के अनुरूप लाना होगा।

भारतीय क्रिकेट के लिए 2019 बेहद शानदार साल रहा था। इस साल विश्वकप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से मिली नाकामी को छोड़ दिया जाए तो विराट कोहली एंड कंपनी के लिए खेल के तीनों फार्मेट में यह साल जबरदस्त रहा। हालांकि साल के अंत में कप्तान विराट और सीमित ओवरों के उपकप्तान रोहित शर्मा ने माना कि विश्वकप के वो 30 मिनट उन्हें हमेशा याद रहेंगे। इस 30 मिनट के समय में भारतीय टीम ने विराट, रोहित और लोकेश राहुल के विकेट गंवाये थे जिससे उसकी फाइनल में पहुंचने की उम्मीदें समाप्त हो गईं। बल्लेबाजी में लीजेंड का दर्जा हासिल कर रहे विराट भारत के सबसे सफल कप्तानों में तभी शुमार हो पाएंगे जब वह 2020 में होने वाले टी-20 विश्वकप में भारत को कामयाबी दिलाएंगे। 

टोक्यो ओलंपिक के लिए अभी तक कोई भविष्यवाणी नहीं की जा रही है कि भारत कितने पदक जीतेगा। रियो के समय तत्कालीन खेल मंत्री विजय गोयल सहित कई दिग्गजों ने भविष्यवाणी की थी कि भारत की पदक संख्या 10 से अधिक होगी, लेकिन भारत को 2 ही पदक मिल पाए थे। बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू ने ऐतिहासिक रजत और महिला पहलवान साक्षी मलिक ने ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता था। इस साल जुलाई अगस्त में टोक्यो में होने वाले ओलंपिक के लिए ज्यादा समय नहीं रह गया है।

भारतीय तैयारियां चल रही हैं लेकिन कोई भी यह आकलन लगाने को तैयार नहीं है कि भारत की झोली में इस बार कितने पदक आएंगे। हालांकि केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि मई-जून तक ही पदकों के बारे में कोई अंदाजा लगाया जा सकेगा और उनका यह भी मानना है कि भारत 2012 के लंदन ओलंपिक के 6 पदकों की संख्या को इस बार पीछे छोड़ सकता है। 

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भारत की पदक की उम्मीदें एक बार फिर निशानेबाजी, कुश्ती, मुक्केबाजी और बैडमिंटन पर टिकी हुई हैं। भारत ने पिछले चार ओलंपिक में इन खेलों में पदक हासिल किए हैं। भारत निशानेबाजी में अब तक रिकार्ड 15 ओलंपिक कोटा हासिल कर चुका है और उम्मीद है कि रियो में निशानेबाजी का सूखा टोक्यो में समाप्त हो जाएगा। कुश्ती में भी भारत को चार ओलंपिक कोटा मिल चुके हैं। मुक्केबाजी में भारत के कुल 14 मुक्केबाज अगले साल फरवरी में चीन में होने वाले पहले ओलंपिक क्वालिफायर में उतरेंगे। बैडमिंटन में खिलाड़ियों की रैंकिंग उनका ओलंपिक क्वालिफिकेशन तय करेगी। पिछली रजत विजेता सिंधू ने 2019 में सिर्फ विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीता लेकिन भारत की पदक उम्मीदें सिर्फ इसी खिलाड़ी पर टिकी हुई हैं। 

दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार हालांकि विश्व चैंपियनशिप के पहले राउंड में हार गए थे लेकिन वह टोक्यो में उतरने की उम्मीद लिए हुये हैं। 36 साल की महिला मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम ने साल के आखिर में ट्रायल जीता और वह फरवरी में होने वाले क्वालिफायर में अपनी किस्मत आज़माएंगी।

2012 की कांस्य पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल के लिए भी यह ओलंपिक करो या मरो के खेल होंगे। 33 साल की सानिया मिर्जा ढाई साल के लंबे अंतराल के बाद नए साल में वापसी कर रही हैं और उनकी इच्छा भी ओलंपिक में खेलने की है। भारतीय टेनिस के वेटरन खिलाड़ी लिएंडर पेस भी टोक्यो में उतरना चाहते हैं। वह हाल में पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय डेविस कप टीम के लिए खेले थे। रियो की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक का प्रदर्शन उसके बाद से लगातार निराशाजनक रहा और उन्हें अपनी पिछली कामयाबी को साबित करने के लिए बेहतर खेल दिखाना होगा। 

भारतीय उम्मीदों का दारोमदार पहलवान बजरंग पूनिया, दीपक पूनिया और विनेश फोगाट, मुक्केबाजी में विश्व चैंपियनशिप के रजत विजेता अमित पंघल और कांस्य विजेता मनीष कौशिक तथा छह बार की विश्व चैंपियन मैरीकॉम, युवा निशानेबाज़ मनु भाकर, सौरभ चौधरी और अनीश भनवाला, पुरूष और महिला हॉकी टीमों, एथलेटिक्स में दुती चंद, हिमा दास और नीरज चोपड़ा, टेबल टेनिस खिलाड़ी अचंत शरत कमल और मणिका बत्रा पर निर्भर करेगा। भारतीय क्रिकेट के लिये नये साल में ट्वंटी 20 विश्वकप के साथ साथ पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का भविष्य भी मायने रखेगा। बीसीसीआई के नये अध्यक्ष सौरभ गांगुली की 2024 तक अध्यक्ष बने रहने की चाहत का फैसला सुप्रीम कोर्ट में होना है।